- मनमाने तरीके से अपील दाखिल करने पर अदालत ने जतायी नाराजगी
विधि संवाददाता
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता के दफ्तर व राज्य सरकार के विधि विभाग की राय को दरकिनार कर डेढ़ साल से अधिक की देरी से मनमाने तरीके से एक पुलिसवाले के मामले में विशेष अपील दाखिल करने पर गृह विभाग को कड़ी फटकार लगायी है। इसके बाद अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने कोर्ट से पछतावा प्रकट करते हुए कहा कि ऐसा गलती से हो गया है और भविष्य में गृह विभाग सावधान रहेगा तथा ऐसी गलती नहीं दोहरायेगा।
यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने गृह विभाग की ओर से मृतक आश्रित विवाद में एक पुलिसवाले वाले के खिलाफ देरी से दाखिल विशेष अपील के मेरिट पर खारिज करते हुए पारित किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने आया था कि जिस आदेश के खिलाफ गृह विभाग ने अपील दाखिल की थी, उस मामले में मुख्य स्थायी अधिवक्ता के आफिस व विधि विभाग ने मामले के गुण दोष पर विचार करते हुए अपील न दायर करने की सलाह गृह विभाग को दी थी। इसके बावजूद गृह विभाग ने अपील दाखिल कर दी। प्रकरण पर गंभीर रुख अपनाते हुए कोर्ट ने कहा कि कानूनी मामलें में विधि विभाग राज्य सरकार को सलाह देने के लिए होता है। यदि सरकार का कोई विभाग उसकी राय से सहमत नहीं है, तो पुनर्विचार के लिए मामला उसे वापस भेज सकता है न कि स्वयं निर्णय ले सकता है।
कोर्ट के तलब करने पर जब अपर मुख्य सचिव अवस्थी, प्रमुख सचिव विधि पीके श्रीवास्तव व डीजीपी 7 जुलाई को पेश हुए तो अवस्थी ने विभाग की गलती मानी। उन्हें तब शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ा, जब उन्होंने सफाई देनी चाही कि ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि अपील न करने से सरकार पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता। कारण, सरकार में उक्त पुलिसवाले की तरह ऐसे ही कई प्रकरण हैं किन्तु बाद में रिकार्ड से ज्ञात हुआ कि पुलिस विभाग में ऐसा केवल एक ही प्रकरण है। सारे मामले को देखने के बाद कोर्ट ने अवस्थी को इंगित करते हुए कहा कि अदालती प्रकिया को किसी अफसर के अहम की संतुष्टि के लिए नहीं प्रयोग करना चाहिए।