कोरोना वायरस : चीन के साथ-साथ भारतीय उद्योगों पर भी लगा ब्रेक

नई दिल्ली। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती छाई है और उसे दुनिया के बड़े देशों से उम्मीद है। हालांकि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन पर असर पड़ना तय है और चीन के लड़खड़ाने से भारत पर भी बड़ा और बुरा असर पड़ेगा।

कोरोना वायरस का संक्रमण और बढ़ा तो चीन की अर्थव्यवस्था के साथ ही भारत की भी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। इसका सीधा असर लोगों पर पड़ेगा। आयात बाधित होने से देश में कार, स्मार्ट फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और कुछ दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, हीरा उद्योग भी खासा प्रभावित हो सकता है। इससे उद्योगों के साथ उपभोक्ताओं पर भी दबाव बढ़ेगा।

आंकड़ों के अनुसार चीन, भारत के सबसे बड़े ऑटोमोटिव कंपोनेंट सप्लायर में शामिल है। ऐसे में चीन में तैयार कल-पुर्जों की कमी होने से भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को प्रोडक्शन घटाना पड़ेगा। भारत के आॅटो कंपोनेंट की जरूरत का 10 से 30 प्रतिशत आयात चीन से होता है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की बात करें तो यह दो से तीन गुना अधिक हो जाता है। आयात के लिए दूसरे बाजारों में जाने से कार बनाने की लागत बढ़ सकती है। इसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। रेटिंग एजेंसी फिच ने 2020 में भारत में आॅटो मैन्युफैक्चरिंग में 8.3 फीसद गिरावट की आशंका जताई है।

एक अनुमान के अनुसार सूरत के हीरा उद्योग को अगले दो माह में करीब 8,000 करोड़ रुपये की चपत लग सकती है। इसकी वजह चीन में फैला जानलेवा कोरोना वायरस है। कोरोना वायरस की वजह से हांगकांग ने इमर्जेंसी की घोषणा कर दी है। हांगकांग सूरत के हीरा उद्योग का प्रमुख एक्सपोर्ट मार्केट है। सूरत के हीरा कारोबारियों का कहना है कि हांगकांग हमारे लिए प्रमुख व्यापार केंद्र है, लेकिन वहां स्कूल और कॉलेज मार्च के पहले सप्ताह तक के लिए बंद कर दिए गए हैं। इसका असर हीरा उद्योग पर पड़ने की आशंका है।

इसके साथ ही, भारत भारी मात्रा में दवाइयां और उनसे जुड़ी सामग्री का 70 फीसद चीन से आयात करता है। दवाओं का बनाने के लिए एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स) और कुछ जरूरी दवाओं के लिए भारत, चीनी बाजार पर काफी हद तक निर्भर है। कोरोना वायरस का संकट अगर और बढ़ा तो स्वास्थ्य क्षेत्र भी प्रभावित हो सकता है। वायरस की वजह से पिछले कुछ समय से चीन की ज्यादातर कंपनियों में काम रोक दिया गया है।

विशेषज्ञों के मुताबिक भारत पेनसिलीन-जी जैसी कई दवाओं के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। भारत मेडिकल उपकरणों का 80 फीसद आयात करता है और इस आयात में चीन की अहम हिस्सेदारी है। इसके अलावा, कोरोना वायरस का असर ट्रैवल और पर्यटन क्षेत्र पर भी पड़ेगा। 2019 में भारत आने वाले विदेशियों में 3.12 फीसद चीन के थे। पिछले कुछ समय से चीन से आने वाले यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन कोरोना वायरस के असर की वजह से चीन से आने वाले पर्यटकों की संख्या घटेगी।

इधर, भारत का उड़ान सेक्टर भी प्रभावित होगा। कुछ एयरलाइंस ने चीन की फ्लाइट्स अस्थाई तौर पर बंद कर दी हैं। केयर रेटिंग्स का कहना है कि चीन और हॉन्गकॉन्ग की फ्लाइट बंद करने से भारतीय एयरलाइंस को प्रति फ्लाइट 55-72 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। यही नहीं, भारत अपने इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का 6-8 फासद चीन को निर्यात करता है जबकि अपनी जरूरतों का 50-60 फीसद चीन से आयात करता है।

चीन में कंपोनेंट फैक्ट्रियों के बंद होने का असर भारत में प्रमुख स्मार्ट फोन कंपनियों पर दिखने लगा है। आपूर्ति बाधित होने से श्याओमी ने स्मार्ट फोन कंपोनेंट की कीमतें बढ़ने की आशंका जताई है। इससे फोन महंगे होंगे। रिटेलर्स का कहना है कि चीन से आयात होने वाले आईफोन-11 और 11-प्रो मॉडल का स्टॉक खत्म होने वाला है। उद्योग जगत का मानना है कि चीन से आपूर्ति नहीं होने की वजह से अगले सप्ताह से घरेलू बाजार में हैंडसेट का उत्पादन रुक सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान स्मार्टफोन की बिक्री में 10-15 फीसद की गिरावट आ सकती है।

कोरोना के असर से फिल्म क्षेत्र भी अछूता नहीं रहेगा। हाल के समय में चीन के बाजार में भारतीय फिल्मों की मांग बढ़ी है। दंगल, 3 इडियट्स जैसी फिल्मों को चीन में अच्छा रेस्पॉन्स मिला है, लेकिन रिलीज के लिए तैयार कई फिल्मों को कोरोना की वजह से नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसकी वजह से चीन ने करीब 70,000 थियेटर बंद कर दिए हैं। कोरोना के असर का एक दूसरा पक्ष भी है।

चीन क्रूड ऑयल का बड़ा इंपोर्टर है, लेकिन, कोरोना के असर की वजह से वहां कच्चे तेल की मांग कम हुई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड में लगातार पांचवे हफ्ते गिरावट आई है। ब्रेंट क्रूड डेढ़ महीने में 10 डॉलर सस्ता होकर 55 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। क्रूड के रेट घटने से तेल कंपनियों के लिए आयात सस्ता होगा। इससे पेट्रोल-डीजल के रेट भी कम होंगे। बता दें कि 2018-19 में भारत के कुल आयात में चीन की 13.7 फीसद हिस्सेदारी रही है।

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