लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि कोई भी संस्था दुनिया के अंदर अपनी नई पहचान तभी बना पाती है, जब वह खुद को समाज सापेक्ष बनाती है। शिक्षकों, अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को समाज सापेक्ष बनकर रचनात्मक गतिविधियों से जुड़ना चाहिए। शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थानों को शासन द्वारा चलाए जा रहे अभियान और योजनाओं का हिस्सा बनना चाहिए। इससे समाज में नई चेतना का उदय होगा। हमारे शिक्षण संस्थान समाज की चेतना का केंद्र हुआ करते थे, इस बात का साक्षी हमारा इतिहास है। मुख्यमंत्री शनिवार को गोरखपुर में दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के स्थापना की 50वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित समारोह के समापन सत्र में बोल रहे थे।
उन्होंने महंत दिग्विजयनाथ द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के स्थापना उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम सैद्घान्तिक न हों, बल्कि व्यवहारिक हों। रचनात्मक और समाज केन्द्रित हों, तभी वह अपनी असली जिम्मेदारी निभा सकेंगे। हम अपनी शिक्षण संस्थाओं को कैसे समाजोपयोगी बनाएं इस पर हमें विचार करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पूर्वांचल और बुंदेलखंड के विकास के लिए विकास बोर्ड का गठन किया। बोर्ड के सदस्यों को हमने कहा कि आप अपने क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के साथ बैठकर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए चर्चा करें और एक ठोस कार्य योजना बनाकर शासन को दें। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि इस दिशा में हम एक नई सोच देने में सफल रहे हैं। ऐसा ही समन्वय शासन और शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं के बीच बनाने की आवश्यकता है।