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बच्चों को रुचिकर शिक्षा मिले यही नयी शिक्षा नीति का मकसद : राज्यपाल

  • बुनियादी शिक्षा मातृभाषा ने दी जानी चाहिए : राज्यपाल

  • महिलाओं को मिलेगा सबसे ज़्यादा फायदा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को कहा कि पुरातनकाल में भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्वगुरू था। उस समय विज्ञान, सामाजिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा प्रमुख रूप से पढ़ाई जाती थी। लेकिन, ब्रिटिशकाल में अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था ने सब कुछ बदल दिया। पुरानी शिक्षा व्यवस्था को नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उददेश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो भारत की परंपरा, विरासत, सांस्कृतिक मूल्यों एवं तकनीकी ज्ञान और कौशल विकास में समन्वय स्थापित करे।

राज्यपाल ने राजभवन से ईश्वर शरण डिग्री कालेज, प्रयागराज के स्वर्ण जयन्ती समारोह को आनलाइन सम्बोधित करते हुए कहा कि इसलिए नयी शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संकल्पना समाज की ज़रूरतों और विद्यार्थियों की रचनात्मक सोच, तार्किकता एवं नवाचार की भावना पर आधारित है।

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि बच्चों को रूचिकर और संस्कारी शिक्षा मिले यही नयी शिक्षा नीति का मुख्य उददेश्य है। नयी शिक्षा नीति की जो सोच है, उसकी झलक पाठ्यक्रमों में भी आनी चाहिए। बच्चों की बुनियादी शिक्षा उसकी मातृभाषा में दी जानी चाहिए, जिससे बच्चे आसानी एवं शीघ्रता से सीख सकें। आज के बच्चों का आई-क्यू बहुत अच्छा है और वह अभी से तरह-तरह के प्रश्न करने लगे हैं, जो पहले के बच्चे ऐसा सोच भी नहीं सकते थे। इसी के मद्देनजर अध्यापकों के दो साल के अन्तराल पर प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो बच्चों में देशप्रेम, सेवाभाव, नैतिकता और सत्यता का बोध कराये।

राज्यपाल ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अकादमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना से महिलाओं को सबसे ज़्यादा फायदा होगा। उन्होंने कहा कि 12वीं तक की पढ़ाई कर कालेज पहुंचने वाली कई छात्राओं का विवाह हो जाता है, जिससे उनकी पढ़ाई छूट जाती। ऐसी बालिकाओं को इससे फायदा होगा कि वे फिर से आगे की पढ़ाई कर सकेंगी।

इसके साथ ही मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट सिस्टम में अनेक विकल्पों वाले विषयों का प्राविधान भी महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी होगा, जिससे उन्हें विभिन्न स्तरों पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री लेने के अनेक अवसर मिलेंगे। इसी तरह शिक्षा में बालिकाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए जेंडर समावेशी फंड की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि नयी शिक्षा नीति के पूरी तरह से क्रियान्वयन के बाद देश के शिक्षा जगत में दूरगामी सकारात्मक परिणाम परिलक्षित होंगे।

इससे पहले राज्यपाल ने महाविद्यालय की गोल्डन जुबिली स्मारिका का विमोचन, प्रो प्रमिला श्रीवास्तव परिसर का उद्घाटन एवं प्रतिमा का अनावरण और लर्निंग मैनेजमेन्ट सिस्टम ‘अविरल’ का उद्घाटन किया। इस मौके पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजीव रंजन तिवारी, ईश्वर शरण महाविद्यालय के शासी निकाय के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आनंद शंकर सिंह और अन्य शिक्षक आनलाइन जुड़े हुए थे।

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