बीस जनवरी को शपथ लेने के बाद जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन अपनी पत्नी यानी फर्स्ट लेडी डा. जिल बाइडेन के साथ व्हाइट हाउस पहुंचे तो उन्हें यह देखकर हैरानी हुई कि राष्ट्रपति भवन का मुख्य द्वार बंद है, वह अंदर प्रवेश नहीं कर सकते हैं। उन्हें अंदर जाने के लिए इंतजार करना पड़ा और वह भी इसलिए कि डोनॉल्ड ट्रम्प जाते जाते भी ऐसी अशोभनीय हरकत कर गये थे जिसकी अब चौतरफा आलोचना हो रही है।
दरअसल, पद मुक्त होने से लगभग पांच घंटे पहले ट्रम्प ने व्हाइट हाउस के चीफ अशर टिमोथी हार्लेथ को नौकरी से निकाल दिया था। चीफ अशर यानी मुख्य द्वारपाल की ही जिम्मेदारी व्हाइट हाउस के दरवाजे खोलने व बंद करने की होती है। उसकी अनुपस्थिति में यह तय करने में देर लगी कि मुख्य द्वार किसके कहने पर कौन खोले, इसलिए बाइडेन को प्रतीक्षा करनी पड़ी। गौरतलब है कि ट्रम्प होटल के पूर्व कर्मचारी हार्लेथ को मेलानिया ट्रम्प ने वर्ष 2017 में दो लाख डॉलर के वेतन पर चीफ अशर नियुक्त किया था। यह पद राजनीतिक नियुक्ति नहीं है, लेकिन निजी कर्मचारी को व्हाइट हाउस लाने में पक्षपात किया गया था।
बहरहाल ट्रम्प का पूरा कार्यकाल ही इस प्रकार के पक्षपातों से भरा हुआ था, जिसकी एक लम्बी सूची है, लेकिन यहां सिर्फ उसका उल्लेख करना पर्याप्त होगा जिससे ट्रम्प की मानसिकता व नीतियों को समझने में मदद मिले और उन्हें बदलने के लिए बाइडेन के प्रयासों की समीक्षा की जा सके। बराक ओबामा जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने कट्टर साम्राज्यवादी व भारत से नफरत करने वाले विंस्टन चर्चिल की मूर्ति को ओवल ऑफिस से बाहर निकलवा दिया था। लेकिन जब ट्रम्प राष्टÑपति बने तो वह अपने आदर्श चर्चिल को वापस ओवल अफिस में ले आये थे।
व्हाइट हाउस (वाशिंगटन डीसी) के पश्चिम विंग में स्थित ओवल आॅफिस अमेरिका के राष्ट्रपति का औपचारिक कार्यस्थल है। इसमें से चर्चिल की मूर्ति का निकाला जाना व फिर उसे वापस लाना इस बात का प्रतीकात्मक संकेत था कि राष्ट्रपति की विचारधारा क्या है और उनकी नीतियों का झुकाव दक्षिणपंथ की ओर होगा या वाम-केंद्र की तरफ। अब राष्ट्रपति बाइडेन ने भी ओवल आॅफिस का मेकओवर कराया है। उन्होंने साम्राज्यवाद व नस्लवाद के तमाम प्रतीकों को बाहर का रास्ता दिखाया और उनकी जगह प्रगतिशील आइकनों को दी है।
चर्चिल की जगह सीजर शावेज ने व्हाइट हाउस में प्रवेश कर लिया है। प्रतीकों में इस परिवर्तन का प्रभाव बाइडेन ने जो अपनी टीम गठन की है, उसमें भी स्पष्ट रूप से दिखायी दे रहा है। मसलन, बाइडेन की टीम में 15 महिलाओं सहित रिकर्ड 20 भारतीय मूल के व्यक्तियों को शामिल किया गया है, लेकिन टीम में उन लोगों को नहीं लिया गया है, जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करपंथी संगठनों या पार्टियों से किसी भी तरह का रिश्ता है। मसलन, सोनल शाह और अमित जानी को बाइडेन ने अपनी टीम का हिस्सा नहीं बनाया है, क्योंकि उनका रिश्ता दक्षिण पंथी संगठनों से रहा है।