नई दिल्ली। दिल्ली में रेलवे लाइन के आसपास बनी झुग्गी बस्तियों को सोमवार को उस समय बड़ी राहत मिली जब केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को यह आश्वासन दिया कि सरकार द्वारा इस मामले में अंतिम निर्णय लिए जाने तक इन झुग्गियों को नहीं हटाया जाएगा। शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को एक फैसले में दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी 48,000 झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि इस आदेश पर अमल में किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हो। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने एक आवेदन दायर कर दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी झुग्गियों को हटाने से पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ को केन्द्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय से परामर्श के बाद ही इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
कांग्रेस नेता अजय माकन के आवेदन पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने मेहता के इस आश्वासन को दर्ज किया कि इन झुग्गी बस्तियों के खिलाफ चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्वाई नहीं की जाएगी। मेहता के इस आश्वासन के बाद पीठ ने माकन का आवेदन चार सप्ताह बाद सूचीबद्घ कर दिया। मेहता ने पीठ से कहा, हमें रेलवे, राज्य सरकार और शहरी विकास मंत्रालय से परामर्श करके इस मामले में अभी निर्णय लेना है। ऐसा होने तक किसी को भी बेदखल नहीं किया जाएगा।
माकन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से कहा कि फिलहाल यथास्थिति बनाए रखी जानी चाहिए। पीठ ने कहा, हम यथास्थिति के बारे में कोई आदेश नहीं दे रहे हैं। सॉलिसीटर जनरल ने कहा है कि फैसला होने तक कोई कार्वाई नहीं होगी और हमने इसे दर्ज किया है। हमने मामला चार सप्ताह के लिए स्थगित किया है। सिंघवी ने कहा कि ध्वस्त करने की कुछ कार्वाई 11 सितंबर और आज भी हुई है।
मेहता ने कहा, वह इस आदेश के तहत नहीं हुआ है। वह दूसरे आदेश के तहत हुआ है। सिंघवी और एक आवेदक की ओर से पेश वरिष्ठ आधिवक्ता कोलिन गोन्जाल्विस ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान उनके माइक चालू नहीं हुए थे ओर सुनवाई पूरी हो गई। इस पर पीठ ने हल्के अंदाज में कहा, आप में से कोई भी तकनीकी काम जानता है, अगर आप जानते हों तो हमारी तकनीकी टीम को मुफ्त सलाह दे दें।
माकन द्वारा दायर इस आवेदन में रेलवे, दिल्ली सरकार और दिल्ली शहरी आवास सुधार बोर्ड को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि इन झुग्गियों को हटाने से पहले यहां रहने वालों को अन्यत्र बसाया जाए। आवेदन में रेल मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली शहरी आवास सुधार बोर्ड को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि इस मामले में दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास नीति 2015 और झुग्गियों को हटाने संबंधी प्रोटोकाल का अक्षरश: पालन किया जाए।