मुम्बई। मुम्बई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को 53 वर्षीय एक इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के दो साल पुराने मामले में बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अलीबाग पुलिस की एक टीम ने गोस्वामी को यहां लोअर परेल स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया।
पुलिसकर्मी, गोस्वामी को धकेलते हुए वैन में बैठाते देखे गए।इस दौरान गोस्वामी ने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें अपने साथ ले जाने से पहले उनके घर में, उन पर हमला किया। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, अलीबाग पुलिस ने भादंवि की धारा 306 और 34 के तहत गोस्वामी को गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी 2018 में एक व्यक्ति और उनकी मां की आत्महत्या से जुड़े मामले में की गई है। हमारे पास उनके खिलाफ सबूत भी हैं।
उन्होंने कहा, जब हमने गोस्वामी की पत्नी को गिरफ्तारी की सूचना दी तो, उन्होंने कागज फाड़ दिए। गोस्वामी को मुंबई से 90 किलोमीटर दूर अलीबाग पहुंचते ही स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया गया। वरिष्ठ पत्रकार के वकील ने गोस्वामी पर हमला किए जाने का आरोप लगाया, जिसके बाद अदालत ने पुलिस से कहा कि वह चिकित्सकीय जांच के लिए अर्नब को सिविल अस्पताल ले जाए।
गोस्वामी के वकील गौरव पारकर ने बताया कि गोस्वामी को अलीबाग की मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया, जहां उन्होंने उनके घर में सुबह घुसे पुलिस दल पर उन पर शारीरिक रूप से हमला करने का आरोप लगाया। मजिस्ट्रेट ने आरोपों का संज्ञान लिया और पुलिस को चिकित्सकीय जांच के लिए अर्नब को सिविल अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया। पारकर ने कहा, चिकित्सकीय जांच के बाद, गोस्वामी की रिमांड पर सुनवाई के लिए उन्हें दोबारा अदालत लाया जाएगा। अदालत उस वक्त उनकी चिकित्सकीय रिपोर्ट पर गौर करेगी।
इस बीच, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को सत्ता का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग करार दिया और कहा कि प्रेस की आजादी पर हमले का विरोध जरूर होना चाहिए। शाह ने ट्वीट कर आरोप लगाया, कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने एक बार फिर लोकतंत्र को कलंकित किया है। रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ सत्ता का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग, व्यक्तिगत आजादी और लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर हमला है। उन्होंने आरोप लगाया, यह घटना आपातकाल की याद दिलाती है। प्रेस की आजादी पर इस हमले का विरोध जरूर होना चाहिए और विरोध किया जाएगा।
भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने ट्वीट कर कहा, प्रत्एक व्यक्ति जो प्रेस की आजादी और अभिव्यक्ति की आजादी में विश्वास करता है वह महाराष्ट्र सरकार की दादागिरी और अर्नब गोस्वामी को प्रताड़ित करने से गुस्से में है। सोनिया और राहुल गांधी द्वारा निर्देशित, असहमती जताने वालों की आवाज दबाने का यह एक और उदाहरण है। शर्मनाकउ सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि यह महाराष्ट्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है और इससे आपातकाल के दिनों की याद आती है।
जावड़ेकर ने ट्वीट किया, महाराष्ट्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले की हम निंदा करते हैं। प्रेस के साथ पेश आने का यह तरीका नहीं है। इससे आपातकाल के दिनों की याद आती है, जब प्रेस के साथ इस प्रकार का व्यवहार किया जाता था।
केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया, स्वतंत्र प्रेस के पैरोकार लोग अगर आज अर्नब के समर्थन में खड़े नहीं होते हैं, तो वे रणनीतिक रूप से फासीवाद के समर्थन में हैं। आप भले ही उन्हें पसंद नहीं करते हों, आप उनको चाहे मान्यता नहीं देते हों, भले ही आप उनकी उपस्थिति को नजरअंदाज करते हों लेकिन अगर आप चुप रहे तो आप दमन का समर्थन करते हैं। अगर अगले शिकार आप होंगे, तो फिर कौन बोलेगा?
विधि मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया, वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी गंभीर तौर पर निंदनीय, अनुचित और चिंताजनक है। हमने 1975 में बेरहम आपातकाल का विरोध करते हुए प्रेस की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया, साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश करने वालों का साथ दे रही कांग्रेस पार्टी की हर साज़िश का भंडाफोड़ करने की सजा अर्नब गोस्वामी को चुकानी पड़ रही है। टुकड़े-टुकड़े गैंग हो या पालघर के हत्यारे, इनको शरण देने वाले कौन हैं? इसका जवाब सोनिया जी और राहुल गांधी से देश मांग रहा है। उन्होंने कहा, और उसी कांग्रेस पार्टी की इशारों पर नाचने वाली कमजोर सरकार, महाराष्ट्र को आपातकाल की ओर ले जा रही है। प्रेस की आज़ादी की बात करने वाले अब कहां छिप कर बैठे हैं? आज सारे दोगले चेहरे उजागर हो रहे हैं।
उधर, कांग्रेस ने टेलीविजन पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की सरकार एवं भाजपा नेताओं की ओर से निंदा किए जाने पर बुधवार को आरोप लगाया कि इनका आक्रोश चुनिंदा और शर्मनाक है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा।
इस बीच, गोस्वामी को गिरफ्तार किए जाने के संदर्भ में शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद से कभी किसी के खिलाफ बदले की भावना से कार्वाई नहीं की। राउत ने यह दावा भी किया कि राज्य सरकार या किसी राजनीतिक दल का गोस्वामी की गिरफ्तारी से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की अचानक गिरफ्तारी की निंदा की और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्घव ठाकरे से मांग की कि गोस्वामी के साथ निष्पक्ष व्यवहार किया जाए और मीडिया की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के खिलाफ सरकारी ताकत का इस्तेमाल नहीं किया जाए।





