अजा एकादशी आज, बन रहे कई शुभ योग

जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिलती है
लखनऊ। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यह व्रत व्यक्ति के जीवन से दुख, दोष और संकटों को दूर करके सुख-शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। शास्त्रों के अनुसार अजा एकादशी का पालन करने से व्यक्ति को पूर्व जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और अनेक कठिनाइयों पर विजय प्राप्त होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रप कृष्ण एकादशी तिथि 18 अगस्त को शुरू होगी और 19 अगस्त को दोपहर 03:32 मिनट पर तिथि का समापन होगा. उदया तिथि में 19 अगस्त को अजा एकादशी व्रत रखा जाएगा। पूजा मुहूर्त सुबह 9:08 बसे लेकर दोपहर 2:02 बजे तक होगा।

अजा एकादशी शुभ योग
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर सिद्धि योग बन रह है, इसके अलावा इस एकादशी तिथि पर शिववास योग समेत कई और शुभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में अगर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करें तो जीवन के सभी दुखों का नाश हो सकता है और भौतिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है।

अजा एकादशी व्रत का महत्व

मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की उपासना करता है और व्रत कथा का श्रवण करता है, उसे मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। इस व्रत की कथा सुनने मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है।

अजा एकादशी पारण समय
अजा एकादशी का पारण द्वादशी तिथि पर अगले दिन 20 अगस्त को है. 20 अगस्त को सुबह 05:53 बजे से लेकर सुबह 08:29 बजे के बीच पारण किया जाएगा। पारण से पहले पूजा करें और प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें इसके बाद दान दक्षिणा दें।

अजा एकादशी की पूजन विधि
अजा एकादशी के दिन सुबह जल्द उठे और स्नान कर श्रीहरि का ध्यान करें। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उनके सामने बैठकर व्रत का संकल्प करें। भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना शुरू करें। पूजा के समय भगवान कृष्ण के भजन आदि करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है। भगवान को भोग अर्पित करें और अंत में आरती कर पूजा समाप्त करें। रात्रि जागरण कर अगले दिन द्वादशी तिथि पर पारण करें।

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