लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इधर एक हफ्ते के भीतर लखनऊ समेत कई जलों में जहरीली शराब पीने से लगभग 20 लोगों की मौत हो चुकी है। इन मामलों में आबकारी अफसरों सहित पुलिस वालों पर भी निलंबन तक कार्रवाई हुई है, लेकिन जहरीली शराब का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में गंभीर रुख अख्तियार करते हुए ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिये हैं।
सरकार ने यहां तक आदेश दिये कि जहरीली शराब माफियाओं की संपत्ति जब्त कर करते हुए उससे प्राप्त धनराशि से पीड़ित परिवारों की मदद की जाये। ऐसे लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की जाये। इसके बाद भी आखिर क्या कारण है कि शासन जहरीली शराब के माफियाओं पर नकेल कसने में बेबस नजर आता है? कौन हैं इस स्थिति के जिम्मेदार? आला पुलिस और विभागीय अफसरों की मानें तो इसका सबसे बड़ा कारण स्थानीय स्तर पर पुलिस तथा विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार है।
हैरतअंगेज बात यह है कि एक ओर इस कारोबार में जुड़े लोगों की धरपकड़ की खबरें आती हैं तो दूसरी ओर जहरीली शराब पीने से मरने वालों के समाचार भी सुर्खियां पाते हैं। चंद रुपयों की लालच में लोगों की जान से खिलवाड़ किया जाता है, लेकिन छोटी-मोटी कार्रवाई के बाद स्थिति जस की तस हो जाती है। यूपी की हाल की घटनाओं पर ही नजर दौड़ायें तो पता चलता है कि लखनऊ के बंथरा में जहरीली शराब पीने से छह मौतें हुईं। इसके बाद फिरोजाबाद, हापुड़, मथुरा में भी कई मौतों की खबर आयी।
20 नवंबर को ही प्रयागराज में छह लोगों की मौत हो गयी। कई अभी अस्पतालों में जीवन-मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। इससे पहले आगरा, बागपत मेरठ में भी जहरीली शराब से मौतें हुई थीं। उत्तीर प्रदेश के बाराबंकी के रामनगर थाना क्षेत्र के रानीगंज गांव में पिछले साल मई माह में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत हुई थी। इनमें चार तो एक ही परिवार के थे।
शराब पीने के बाद अचानक लोगों को दिखना बंद हो गया था। इसके बाद उन्हें अस्पकताल में भर्ती कराया गया जहां उन लोगों की मौत हो गयी थी। वहां देशी शराब की सरकारी दूकान से खरीद कर कई लोगों ने शराब पी थी।पिछले साल फरवरी में सहारनपुर और आसपास के इलाकों में जहरीली शराब ने करीब 50 लोगों की जान ले ली थी। एक और घटना में मेरठ में आबकारी और पुलिस वालों की टीम जब अवैध रूप से चल रही भट्ठियों पर छापा मारने गयी तो उसे दौड़ा लिया गया। ऐसा धंधा करने वालों ने यह दुस्साहस इसलिए किया, क्योंकि वे जानते हैं कि जिनको हम पैसा पहुंचाते हैं, वे छापा कैसे मार सकते हैं।
इन दिल दहला देने वाली घटनाओं के बाद शासन-प्रशासन एकबारगी तो चौकन्ना नजर आता है लेकिन दिन बीतने के साथ ही जहरीली शराब के धंधेबाज अपना जाल और फैला लेते हैं। ऐसा नहीं है कि गांवों में चल रहीं शराब की अवैध भट्ठियों से स्थानीय प्रशासन अन्जान रहता है। यह सब तो उसकी नाक के नीचे ही होता है। इसमें स्थानीय आबकारी निरीक्षक और स्थानीय थाने की पूरी मिलीभगत होती है। उन्हें थैली पहुंचती रहती है, शराब बनती और बिकती रहती है, लेकिन प्रशासन की आंख तब खुलती है जब घरों में मातम की चीख सुनायी देती है। ऐसे धंधेबाजों ने व्यवस्था का मजाक उड़ा रखा है। सरकार किसी की भी हो, हर बार क्रूर नजारा समान होता है।
जहरीली शराब का धंधा न रुकने का प्रमुख कारण भ्रष्टाचार है। जब स्थानीय पुलिस और आबकारी निरीक्षक की मिलीभगत से धंधा चलेगा, यही लोग शराब बनवायेंगे, तो रोकेगा कौन। हमारे समय तो थानेदारों से शपथ पत्र लिया जाता था कि यदि उनके इलाके में ऐसी भट्ठियां मिलीं तो वही जिम्मेदार होंगे। किसी इलाके में ऐसी भट्ठियां मिलती थीं तो थानेदार सीधे बर्खास्त होते थे।
विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी यूपी
जहरीली शराब से हुई मौतों को गंभीरता से लिया गया है। जहां-जहां हुई हैं, वहां पुलिसकर्मियों को चिह्नित करके कार्रवाई की गयी है। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए सभी जिलों में अवैध श्राब बनाने तथा बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर धरपकड़ की जा रही है। इस संबंध में सभी जिलों के एसएसपी/एसपी को निर्देश् दिये गये हैं।







