अद्भुत रहस्य, छोटा सा चमत्कारी पत्थर बढ़ते बढ़ते बन गया 70 फीट ऊंची चट्टान इसे छूते हर इच्छा होती पूरी
छतरपुर। बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में स्थित 900 साल पुराना अबार माता मंदिर अपनी अद्भुत कथा और रहस्यमय शक्ति के कारण प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भक्तों की आस्था इतनी गहरी है कि यहां आने से उनके सारे दुखों का निवारण हो जाता है। खासतौर से, यह मंदिर नि:संतान दंपतियों के लिए एक आशीर्वाद के रूप में माना जाता है।
मंदिर में एक विशाल चट्टान है, जिसका आकार समय के साथ बढ़ता गया है। पहले यह चट्टान कुछ फीट की थी, लेकिन अब यह करीब 70 फीट ऊंची हो चुकी है। मान्यता है कि इस चट्टान को छूने से नि:संतान को संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह चमत्कारी चट्टान भगवान शिव से जुड़ी हुई मानी जाती है, और खासकर महाशिवरात्रि के दिन इसकी लंबाई में वृद्धि होती है।
कहानी के अनुसार, आल्हा-उदल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। एक रात वे महोबा से माधौगढ़ जाते हुए यहां पहुंचे, और रात में देवी की पूजा के दौरान उन्हें अबार माता के दर्शन हुए। तब से इस स्थान पर अबार माता का मंदिर स्थापित है।
प्राचीन समय में यहां एक मठिया बनाई गई थी, जिसमें देवी की मूर्ति हुआ करती थी। बाद में मठिया को हटाकर मूर्ति को मंदिर में स्थापित कर दिया गया। इस चमत्कारी चट्टान को छूने के लिए भक्तों को एक विशेष तरीका अपनाना होता है. पहले हाथ उल्टा रखकर मन्नत मांगनी होती है और फिर मन्नत पूरी होने पर सीधे हाथ से धन्यवाद देना होता है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए 50 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, और दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं। अबार माता मंदिर अपनी दिव्य शक्ति और रहस्यमयी आकर्षण के कारण श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।