डॉ. उपेंद्र अयोध्या, लखनऊ। कड़क सर्दियों के बावजूद शादी ब्याह के सीजन में घर गृहस्थी के साज-ओ-सामान क्रय विक्रय का बाजार बेहद गर्म है। प्रदेश की राजधानी के जाने माने फर्नीचर शोरूमों में मची है साखू साल से लेकर शीशम टीकवुड तक के इम्पोर्टेड आइटम्स की धूम।
महज सौ बरस पहले तक दुनिया में सबसे बेहतरीन इमारती लकड़ी के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में आज इम्पोर्टेड टीकवुड सोफा डबलबेड डाइनिंग टेबल का बाजार इतना गरम है कि केंद्रीय मंत्री व भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी को कुछ दिन पहले नागपुर की सभा में खुलासा करना पड़ा कि भारत ४६ हजार करोड़ रुपए मूल्य की लकड़ी विदेश से आयात करता है।
एक ओर देश में विदेशी लकड़ियों के फर्नीचर की धूम है दूसरी ओर दुनिया की सबसे अच्छी इमारती लकड़ी उपजाने वाले तराई जिले बहराइच की जागरूक किसान स्नेहलता त्रिपाठी परेशान हैं कि अपने छह हजार सागौन पेड़ों की परमिट के लिए परमिट फीस, दस गुना वृक्षारोपण और इनके लिए दस गुना खेत खरीदने जैसे असंभव शर्तों का पालन व तीन करोड़ रुपये का इंतजाम कहां से करें।
दूसरी ओर यूपी की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने इसी सोमवार को पेड़ लगाने और काटने की छूट वाला अपना दो साल पुराना फैसला पलटते हुए ऐसा निर्णय ले डाला है जिसने प्रदेश के बागवानों को गहरी चिंता में डाल दिया है जिन्होंने सीएम योगी का आदेश मानकर 2017 से 2019 तक अपने खेतों को बागान में तब्दील कर ग्रीन कार्बन संरक्षक का गौरव हासिल किया था।