बढ़ती आर्थिक गतिविधियों और लोगों में लापरवाही के कारण कोविड-19 संक्र मणों में एक बार फिर से वृद्घि होने लगी है। संक्रमण के दैनिक मामले जो दस हजार से भी कम हो गये थे, वह अब तेरह हजार से अधिक हो गये हैं और निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। फिलहाल महाराष्ट्र, पंजाब व केरल विशेष चिंता का विषय हैं, लेकिन तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में भी स्थिति चिंताजनक होने की आशंका है।
गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रू पाणी कोविड-19 पॉजिटिव होने के कारण मंच पर ही भाषण देते हुए गिर गए थे। महाराष्ट्र में राज्य सरकार ने संक्र मण के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए मुंबई, अकोला, यवतमाल व अमरावती में कठोर कदम उठाने की घोषणा की है, जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर मॉस्क न लगाने पर जुर्माने में वृद्घि भी शामिल है। विशेषज्ञ कोविड-19 के बढ़ते मामलों को संक्र मण की तीसरी लहर बता रहे हैं।
नया कोरोना वायरस महामारी से मुक्ति पाने का एकमात्र रास्ता वैक्सीन बताया गया था। अब वैक्सीन भी आ गई है और भारत में दो वैक्सीनों- कोविशील्ड व कोवाक्सीन- का उत्पादन बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है, जिनसे देशीय व अंतराष्ट्रीय जरूरत को पूरा करने का प्रयास है। भारत में निर्मित वैक्सीनों की जो विकसित व विकासशील देश मांग कर रहे हैं, उनकी एक लम्बी सूची है। अब यह नई दिल्ली को तय करना है कि वह वैक्सीन किस देश को वरीयता पर दे।
दूसरे शब्दों में भारत वैक्सीन उत्पादन व वितरण के संदर्भ में विश्व गुरु बन गया है, जिसका अंदाजा उन अखबारी रिपोर्टों से लगाया जा सकता है जिनमें कहा गया है कि श्रीलंका ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अपनी संसद को संबोधित करने से केवल इस डर से मना कर दिया कि वह अपने भाषण में कश्मीर का मुद्दा उठाते जिससे भारत नाराज हो सकता था और श्रीलंका को वैक्सीन सप्लाई करने से मना कर देता या वरीयता क्रम में बहुत नीचे रख देता।
वैसे भारत पाकिस्तान को पहले ही वैक्सीन सप्लाई कर चुका है और वह भी मुफ्त में। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि नई दिल्ली तीन बार विदेशी प्रतिनिधियों को जम्मू-कश्मीर की स्थिति का मूल्यांकन कराने के लिए वहां का राज्य-नियंत्रित दौरा करा चुकी है, जिसमें विदेशी प्रतिनिधियों को जम्मू-कश्मीर के प्रमुख नेताओं से मिलने नहीं दिया गया, जबकि 5 अगस्त 2019 के बाद भारत के विपक्षी दलों के सांसदों को इस नये केंद्र शासित प्रदेश में जाने नहीं दिया गया है।
इसलिए अखबारों का यह अनुमान सही हो सकता है कि भारतीय वैक्सीन न मिलने की वजह से श्रीलंका ने इमरान खान को अपने संसद में जाने से मना किया। बहरहाल, इस लेख में असल मुद्दा वैक्सीन पर विश्व राजनीति नहीं है बल्कि सवाल यह है कि वैक्सीन के होते हुए भी कोविड संक्र मण की तीसरी लहर आने का खतरा क्यों बढ़ता जा रहा है? सबसे पहली बात तो यह है कि कोविड टीकाकरण की रफ्तार बहुत सुस्त थी।
हालांकि 19 फरवरी तक भारत में एक करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका था जोकि रफ्तार के संदर्भ में तो सिर्फ अमेरिका से ही पीछे है (एक करोड़ टीकाकरण की संख्या पार करने में अमेरिका ने 31 दिन और भारत ने 34 दिन लिए), लेकिन इस लिहाज से काफी कम है कि (चीन को छोड़कर) अन्य देशों की तुलना में हमारी जनसंख्या बहुत अधिक है। अमेरिका में 35 करोड़ लोग हैं, जबकि हम 130 करोड़ से ज्यादा हैं। हालांकि एक मार्च से साठ साल तक की आयु के लोगों का टीकाकरण शुरू हो गया है, ऐसे में उम्मीद है कि टीकाकरण की रफ्तार भी तेज होगी। धीमे टीकाकरण की वजह से तीसरी लहर का खतरा बढ़ गया है। महाराष्ट्र इसका उदाहरण है जहां कई जगहों पर फिर से सीमित लॉकडाउन लगाया गया है।





