भारत व चीन के ट्विटर योद्धाओं के बीच वर्चुअल ऑनलाइन जंग छिड़ गई है। इससे दोनों तरफ के सैनिकों में तनाव बढ़ गया है। पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव पिछले एक माह से चल रहा है और अब दोनों प्रतिद्वंदी गुट बड़े हथियार भी इस क्षेत्र में जमा करने लगे हैं। ट्विटर पर सेना-आईटीबीपी और पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव के वीडियो व फोटो पोस्ट हुए हैं, जिनमें सैनिकों को पत्थरों, रॉड व डंडों के साथ पैनगोंग त्सो (झील) के उत्तरी किनारे पर दिखाया गया है।
इन वीडियो व तस्वीरों में दोनों तरफ के सैनिकों को गंभीर चोटिल अवस्था में दिखाया गया है। जाहिर है कि ये वीडियो या तो ‘झूठी हैं या ‘लीक की गई हैं। भारतीय सेना ने इन वीडियोज को झूठा बताया है, लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बढ़ता तनाव सच्चा है। इससे चिंता गहरी होती जा रही है। गुस्से में गोली भी चल सकती है, जोकि पिछले 45 वर्ष में नहीं चली है। जो सीमा क्षेत्र अभी निर्धारित नहीं किये जा सके हैं, उनमें चीनी सेना की घुसपैठ कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन लद्दाख में जो वर्तमान घुसपैठ है, वह असाधारण है।
साल 2017 में डोकलम में 73 दिन का टकराव हुआ था, यह उससे काफी भिन्न है। डोकलम स्थानीय संकट था और दोनों पक्ष जानते थे कि उनकी अपनी अपनी मांगें क्या हैं? चीन सड़क निर्माण करना चाहता था और भारत ऐसा नहीं चाहता था। कहां रु कना है, कहां बढ़ना है, यह स्पष्ट था। लद्दाख की वर्तमान स्थिति में ऐसी कोई स्पष्टता नहीं है।
चीनी घुसपैठ एक जगह नहीं बल्कि अनेक जगहों पर है। इनमें कुछ जगहें तो ऐसी हैं जिनमें एलएसी रेखांकन को लेकर कभी कोई विवाद नहीं था। हालांकि यह संभव है कि जो लोग तनाव को दूर करने के लिए डिप्लोमेटिक प्रयास कर रहे हैं, उनके सामने विवाद के कारण की पूरी तस्वीर हो, लेकिन जो सूचनाएं सार्वजनिक हुई हैं, उनसे चीन के इरादे स्पष्ट नहीं होते हैं।
हां, इतना जरू र जाहिर होता है कि चीन भारत पर दबाव बनाना चाहता है। कोरोना वायरस के स्रोत व इस महामारी से युद्घ और नतीजन आर्थिक संकट को लेकर जो ग्लोबल पैमाने पर राजनीति है, उसका चीन पर जबरदस्त अंतर्राष्ट्रीय दबाव है, जिस कारण वह अपने आपको फं सा हुआ पा रहा है। सवाल है चीन, नई दिल्ली पर दबाव क्यों बनाना चाहता है? क्या वह चाहता है कि भारत इस तनाव के समय पर उसका साथ दे या वह चाहता है कि भारत तटस्थ रहे? यह अनुमान इस लिहाज से महत्वपूर्ण हो जाता है कि अमेरिका जी-7 का विस्तार करते हुए उसमें भारत को भी शामिल करना चाहता है।
यह संभव है कि पूर्वी लद्दाख में जो एलएसी के पास टकराव है, वह स्थानीय तनावों से जुड़ा हो, लेकिन जिस तरह से चीन ने सिक्किम व अन्य जगह भी ‘मोर्चा खोला है, उससे नई दिल्ली पर दबाव बनाने का अनुमान ही सही प्रतीत होता है। लेकिन लगता है कि चीन इस समय आग से खेलने का खतरा मोल ले रहा है।
उसने पूर्व में भी एलएसी पर सैन्य दबाव डालने का प्रयास किया था, जैसे चुमार, डोकलम आदि में, लेकिन असफल रहा था। अगर वह इस समय अधिक कठोर रुख अपनाता है, तो संकट का समाधान जटिल हो जायेगा। आम ख्याल यह है कि वर्तमान टकराव का कारण गलवान घाटी में सड़क निर्माण है, जो दौलत बेग ओल्डी एयरबेस को जोड़ती है। लेकिन यह बात सही नहीं लगती। यह नई सड़क नहीं है, यह बहुत लम्बे समय से वजूद में है। इस सड़क में सुधार किया गया है। इसके नये पुल का पिछले साल रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन भी किया था।