बचाव के लिए पिलायी जायेगी दवा
वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। बच्चों में अंधेपन की मुख्य वजह विटामिन ए की कमी है। इसकी कमी से प्रतिवर्ष करीब 2.50 लाख से 5 लाख बच्चों के आंखों की रोशनी चली जाती है। अंधेपन से बचाने के लिए प्रदेश में 9 माह से 5 साल की आयु के कुल 2 करोड़ 42 लाख बच्चों को विटामिन ए की दवा पिलायी जायेगी।
संजय गांधी पीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. पियाली भट्टाचार्य का कहना है कि विटामिन ए की कमी की समस्या विकसित देशों की अपेक्षा विकासशील देशों में आम है। विटामिन ए की कमी दुनिया भर के बच्चों में अंधेपन का प्रमुख कारण है। विटामिन ए दांतों, हड्डियों, कोमल ऊतकों और त्वचा को स्वस्थ बनाने और बनाए रखने में मदद करता है। इसे रेटिनॉल के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह आंख की रेटिना में रंगद्रव्य पैदा करता है।
विटामिन ए अच्छी दृष्टि को बढ़ावा देता है खासकर कम रोशनी में। विटामिन ए की कमी आहार में पर्याप्त विटामिन ए का सेवन न करने के कारण होती है। दस्त और खसरे से यह कमी और बढ़ सकती है। शिशुओं, बच्चों और गर्भवती या धात्री महिलाओं को विटामिन ए की कमी से सबसे अधिक खतरा होता है।
स्वस्थ गर्भावस्था और स्तनपान में भी इसकी भूमिका है। इसकी कमी न हो इसके लिए बीफ, चिकन, अंडे, फोर्टिफाइड दूध, गाजर, आम, शकरकंद और पत्तेदार हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। एनएफएचएस- 4 के अनुसार 9 से 35 माह के लगभग 43.8 फीसद बच्चों ने विटामिन ए की दवा का सेवन किया था जबकि एनएफएचएस- 5 में यह आंकड़ा बढ़कर 74 फीसद हो गया है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा.ए.पी.मिश्रा ने बताया कि विटामिन ए संपूरण कार्यक्रम के तहत साल में दो बार छह-छह माह के अंतराल पर बीएसपीएम आयोजित होता है।
नौ से 12 माह के बच्चे को विटामिन ए की एक मिली खुराक नियमित टीकाकरण सत्र के दौरान मीजल्स रूबेला(एमआर) के पहले टीके के साथ, 16 से 24 माह के बच्चों को विटामिन ए की दो मिली खुराक एमआर के दूसरे टीके के साथ और दो से पाँच साल के बच्चों को छह-छह माह के अंतराल पर विटामिन ए की दो मिली खुराक पिलाई जाती है। यह दवा छाया ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस एवं शहरी स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के माध्यम से बच्चों को दी जाएगी। इस कार्यक्रम का संचालन एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा किया जायेगा। बच्चों को दी जाने वाली सभी खुराकों की एंट्री ई-कवच पोर्टल और मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड पर की जाएगी।