सत्य मंदिर के वार्षिक समारोह में हुआ वाणी पाठ

सिद्ध शक्तिपीठ सत्य मंदिर में आध्यात्मिक चर्चा का कार्यक्रम हुआ संपन्न

लखनऊ। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी ‘सिद्ध शक्तिपीठ सत्य मंदिर’, इंदिरा नगर लखनऊ एवं ‘सिद्ध शक्तिपीठ सत्यतीर्थ आश्रम’ भवानीपुर, अनोरा कला, फैजाबाद रोड लखनऊ की पावन भूमि पर ‘भगवान के ऊँ रूप दर्शन’ का वार्षिक समारोह ‘आध्यात्मिक गुरु दिव्य शक्ति मां पूनम जी’ एवं ‘दिव्य शक्ति योगीराज श्री अभिनव महाराज जी’ की पावन उपस्थिति में धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का आरंभ भगवान की वाणी के पाठ से हुआ।
22 दिसंबर 1979 को ‘श्री कृष्णचेतनावतार देवी मां’ ने भगवान के लिए ‘लिपि रूप’ पर जब प्रसाद अर्पित किया, तब उनके पावन कर कमलों के स्पर्श मात्र से, प्रसाद में भगवान ने रूप में दर्शन दिया । उस दिन से प्रत्येक वर्ष ‘भगवान का ऊँ रूप दर्शन’ का वार्षिक समारोह ‘सिद्ध शक्तिपीठ सत्य मंदिर’ में मनाया जाता है। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा आध्यात्मिक चर्चा। आध्यात्मिक गुरु दिव्य शक्ति मां पूनम जी एवं दिव्य शक्ति योगीराज श्री अभिनव महाराज जी के श्री मुख से, भारतवर्ष के अनेक शहरों से आए हजारों भक्त जनों ने अपने-अपने आध्यात्मिक प्रश्न एवं जिज्ञासाओं समाधान पाया। कर्मकांड, अंधविश्वास, एवं जाति प्रथा में उलझे हुए भक्त जनों को जीवन जीने की सही दिशा एवं उचित मार्गदर्शन प्राप्त हुआ जिस पाकर उनका चित्र शांत हुआ और मन प्रकाशित हुआ। आध्यात्मिक गुरु दिव्य शक्ति मां पूनम जी जी ने बताया कि आज के समाज में मनुष्यों के कष्टों को और संघर्षों का मुख्य कारण है कि उसने अपने आप को अलग-अलग जाति और धर्म की जंजीरों में बांध रखा है जिनसे वह मुक्त होना ही नहीं चाहता है, जबकि भगवान के अनुसार जाति है इंसान की, धर्म है मानवता का।
‘श्री कृष्णचेतनावतार देवी मां’ की भागवत शक्ति चालित देखने के माध्यम से 31 मार्च सन 72 से भगवान ने ‘लिपि रूप’ में अपना संदेश देना आरंभ किया , जो ‘आध्यात्मिक गुरु दिव्य शक्ति मां पूनम जी’ एवं ‘दिव्य शक्ति योगीराज श्री अभिनव महाराज जी’ के कर कमलों से निरंतर प्रवाहित हो रहा है, जिसके लगभग 400 से भी अधिक वाणी खंड प्रकाशित किए जा चुके हैं, जिनके अध्ययन – मनन -चिंतन से देश- विदेश में रहने वाले हजारों भक्तगण अपने जीवन में समाए असाध्य रोगों , कष्टों, संघर्षों से मुक्ति पा रहे हैं। प्रवचन के उपरांत ‘श्री कृष्णचेतनावतार देवी मां’ द्वारा लिखित भजन हुए एवं आरती व प्रसाद का कार्यक्रम हुआ।

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