लखनऊ: पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए जाने को लेकर हो रहे विरोध के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि पिछले साल अक्टूबर में तेल पर वैट की दरों में ढाई रुपए की कटौती किए जाने से सरकार को अब तक 3000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, लिहाजा सरकार को पुरानी दरें लागू करनी पड़ी हैं। संयुक्त निदेशक (वाणिज्य कर) मनोज कुमार तिवारी ने मंगलवार को बताया कि प्रदेश में चार अक्टूबर 2018 को पेट्रोल की कीमत 83.35 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 75.64 रुपए प्रति लीटर हो जाने पर वैट में ढाई रुपए प्रति लीटर की कमी की गई थी। उसी दिन केन्द्र सरकार ने भी आबकारी कर में डेढ़ रुपए प्रति लीटर और तेल कम्पनियों ने एक रुपए प्रति लीटर की कमी की थी। इससे प्रदेश के उपभोक्ताओं को कुल पांच रुपए प्रति लीटर की राहत मिली थी। उन्होंने बताया कि वैट राशि कम करने से प्रदेश सरकार को प्रति माह औसतन 250 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा था।
उन्होंने कहा, इस कमी से अब तक 3000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है। लिहाजा, प्रदेश सरकार ने 20 अगस्त से पूर्ववर्ती कर की दरों को बहाल कर दिया है। तिवारी ने बताया कि इस वृद्धि के बावजूद वर्तमान में पेट्रोल के दाम चार अक्टूबर, 2018 के मूल्य के मुकाबले 9.71 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 10.38 प्रति लीटर कम हैं। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम कम होने से पेट्रोल और डीजल के आधार मूल्य में भी कमी के कारण राजस्व वृद्धि के लिए केन्द्र सरकार ने गत छह जुलाई को पेट्रोल और डीजल पर दो-दो रुपए प्रति लीटर की अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है। जुलाई में ही कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा उत्तराखण्ड में भी वैट की दरों में पहले की दरों के हिसाब से बढ़ोत्तरी की गई है।





