लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से जमानत मिल गई। प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने के लिए पार्टी द्वारा 1000 बसें दिए जाने के मामले में धोखाधड़ी के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। न्यायमूर्ति ए. आर. मसूदी ने लल्लू को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलकों पर रिहा करने के आदेश दिए।
लल्लू की जमानत अर्जी का किया विरोध
अपर राजकीय अभियोजक अनुराग वर्मा ने लल्लू की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि मामले की जांच एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और ऐसी स्थिति में जमानत नहीं दी जानी चाहिए। न्यायमूर्ति मसूदी ने अपने आदेश में प्रवासी मजदूरों के लिए बसों की व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार और कांग्रेस के आपसी गतिरोध में उलझने पर चिंता जताई। अदालत ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि राज्य सरकार और एक राजनीतिक पार्टी के बीच एक ऐसे मुद्दे को गतिरोध है जिसकी कोई विधिक शुचिता नहीं है।
कांग्रेस ने लॉकडाउन के कारण अपने घर लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने 1000 बसें भेजने का प्रस्ताव रखा था, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था। बसों के दस्तावेजों की जांच में कई वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर बेमेल पाए गए थे। इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज करके लल्लू को गिरफ्तार किया गया था।
विशेष अदालत में जमानत की अर्जी दी थी
लल्लू ने विशेष अदालत में जमानत की अर्जी दी थी लेकिन अदालत ने एक जून को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायमूर्ति मसूदी ने लॉकडाउन के दौरान एक राजनीतिक पार्टी द्वारा राज्य सरकार को बसें उपलब्ध कराने की पेशकश की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह सच है कि प्रधानमंत्री और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण की अपनी जिम्मेदारी निभाने के दौरान जनता से वित्तीय मदद की अपील की लेकिन परिवहन संबंधी किसी भी सेवा की उपलब्धता के लिए कोई अपील नहीं की गई।
सामाजिक संगठन या राजनीतिक पार्टी के लिए ऐसा कोई मौका नहीं
अदालत ने कहा ‘लिहाजा किसी भी सामाजिक संगठन या राजनीतिक पार्टी के लिए ऐसा कोई मौका नहीं था कि वह परिवहन सेवा या ऐसी किसी सेवा की पेशकश करे, जिसके बारे में प्रधानमंत्री या राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नहीं कहा हो।’ उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार और विपक्ष दोनों को ही आपसी टकराव में उलझने के बजाय जनता की दिक्कतों का ज्यादा से ज्यादा समाधान निकालना चाहिए।