अभिषेक बाजपेई,लखनऊ। अब तक कई मामलों में रिकॉर्ड बनाने वाला उत्तर प्रदेश एक नए उपलब्धि की दिशा में बढ़ रहा है। अगले पांच साल में श्रम बल के तौर पर उत्तर प्रदेश एक बड़ा योगदान देने की तैयारी कर रहा है।
2019 से 2023 के बीच प्रदेश 15 से 30 आयु वर्ग के 78.94 लाख नए कामगार देगा, जो किसी भी राज्य की श्रम शक्ति के ज्यादा है। अपने प्रदेश के बाद जो दो अन्य राज्य जो नए कामगारों के तौर पर अपना योगदान देंगे वह है मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र। इस अवधि में जहां महाराष्ट्र से 52.98 लाख कामगार और मध्य प्रदेश से 50.3 लाख कामगार बतौर श्रम बल जुड़ने की संभावना है। यह आंकड़ें राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) द्वारा किये गए श्रम बल सर्वेक्षण के विश्लेषण से निकल कर आये हैं।
प्रदेश के टॉप जिले जिनसे सबसे ज्यादा श्रम शक्ति आएगी, उसमे सीतापुर, बदायूं, हरदोई, मुजफ्फरनगर और बरैली शामिल हैं। इसके मुकाबले पडोसी राज्य बिहार के सबसे ज्यादा कामगार देने वाले जिलों में पटना, सिवान, मुज्जफरपुर, पूर्वी चम्पारण, औरंगाबाद और भोजपुर शामिल है। इन आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 6 राज्य, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु और कर्नाटक, मिलकर देश के 50 प्रतिशत युवा कामगारों का योगदान देंगे। खास बात यह है कि इसमें से भी 30 प्रतिशत कामगारों का योगदान यूपी, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से आने की संभावना है।
विश्लेषण के आधार पर कहा गया है कि सबसे ज्यादा 15-30 साल की किशोरियों और महिलाऐं 28.5 लाख 2021 और 2023 में श्रम बल का हिस्सा बन जाएंगी। पुरुषों की श्रेणी में सबसे ज्यादा श्रम बल एक करोड़ तक 2023 तक जुड़ जायेगा। दरअसल, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी विभाग ने वर्ष 2017-18 को आधार वर्ष मान कर देश में श्रम बल का सर्वेक्षण कराया था।