आचार्य भावे की करूणा, संवेदना से पूरी मानवता भी प्रभावित थी : राज्यपाल

  • आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में दें अपना योगदान

लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रविवार को कहा कि महापुरूषों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती है, बल्कि उसकी प्रांसगिकता युगों-युगों तक कायम रहती है। समाज उनके विचारों से सदैव मार्गदर्शन प्राप्त करता रहता है। आचार्य विनोबा भावे ने गांधी जी के मार्ग को अपनाया और जीवनभर वह उनके आदर्शों पर चलते रहे। संत स्वभाव के होने के बावजूद आचार्य विनोबा में राजनैतिक सक्रियता भी थी। उन्होंने सामाजिक अन्याय तथा धार्मिक विषमता का मुकाबला करने के लिए देश की जनता को स्वयंसेवी होने का आह्वान किया।

हरिजन सेवक संघ द्वारा आचार्य विनोबा भावे की 125वीं जयंती के मौके पर आयोजित वेबिनार ‘गांधी इन न्यू एरा-विनोबा जी’ को राजभवन से सम्बोधित करते हुए कहा कि आचार्य विनोबा भावे के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उनकी पूरी जीवन-यात्रा समाज के उत्थान के लिए थी। आचार्य विनोबा द्वारा बताई गयी बातें लोगों को सही और सफल मार्ग पर ले जाने में सहायक हैं।

आनंदीबेन ने कहा कि समाचार पत्र ‘महाराष्ट्र धर्म’ के माध्यम से भी आचार्य विनोबा भावे ने देशवासियों में स्वतंत्रता की अलख जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि आचार्य विनोबा भावे को समाज कल्याण, दुःखी एवं जरूरतमंदों के उत्थान के लिए किये गये कार्यों के लिये ‘संत’, ‘आचार्य’ और ‘ऋषि’ जैसी तीन विभूतियों से सम्मानित किया गया था।

राज्यपाल ने कहा कि देश के स्वतंत्र होने के बाद आचार्य विनोबा भावे ने भूदान और सर्वोदय आन्दोलन के माध्यम से समाज सुधार के स्वैच्छिक आन्दोलन की शुरूआत की। आचार्य विनोबा का मानना था कि भूमि का पुनर्वितरण सिर्फ सरकारी कानूनों के ज़रिये न हो, बल्कि जनभागीदारी के माध्यम से इसे सफल बनाया जाये।

विनोबा भावे ने पूरे देश में खुद जाकर लोगों से ज़मीन दान करने का आह्वान किया, जिससे मिली भूमि को भूमिहीनों को देकर उनका जीवन सुधारा जा सके। विनोबा ने इस आंदोलन के माध्यम से देश भर में 50 लाख एकड़ जमीन दान में ले कर भूमिहीनों को बंटवाई थी। उन्होंने कहा कि विनोबा भावे की जन नेतृत्व क्षमता तथा व्यक्तित्व से प्रभावित होकर चंबल के 20 डाकुओं ने आत्म-समर्पण किया था।

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आचार्य विनोबा भावे करूणाशील व्यक्ति थे, जिनकी करूणा और संवेदना से पूरी मानवता प्रभावित थी। आचार्य विनोबा का कहना था कि ‘नेतृत्व वही सफल हो सकता है, जो सबको साथ लेकर, सबका अपना होकर चले’। उन्होंने कहा कि आचार्य के नेतृत्व का कद बहुत ऊंचा था, क्योंकि उन्होंने सभी को समान रूप से अपनाया और उपलब्धियों में सबको सहभागी माना।

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के मंत्र के साथ देश को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने में अपना योगदान दें।

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