नई दिल्ली। विदेश सचिव हर्ष वर्द्धन श्रृंगला ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच वार्ता के दौरान नए नागरिकता कानून का मुद्दा नहीं आया।
उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने धार्मिक सौहार्द के बारे में सकारात्मक रूप में बातचीत की। श्रृंगला ने कहा कि भारत और अमेरिका ने पांच मुख्य क्षेत्रों -सुरक्षा, रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, दोनों देशों की जनता के स्तर पर संपर्क को लेकर व्यापक वार्ता की और राष्ट्रपति ट्रंप ने रक्षा क्षेत्र में भारत को उच्च प्राथमिकता देने का अश्वासन दिया।
विदेश सचिव ने संवाददाताओं से कहा कि मोदी और ट्रंप ने कारोबार क्षेत्र में बड़े समझौते की दिशा में आगे बढऩे का निर्णय किया। यह पूछे जाने पर कि क्या विवादित नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी का मुद्दा भी बातचीत में उठा, श्रृंगला ने कहा कि नए नागरिकता कानून का मुद्दा बातचीत में नहीं उठा।
उन्होंने कहा, सीएए का मुद्दा नहीं आया लेकिन जैसा कि आपने पूछा, धार्मिक स्वतंत्रता पर दोनों पक्षों ने बहुलवाद, विविधता को भारत एवं अमेरिका को जोड़ने वाला कारक बताते हुए इसकी सराहना की। विदेश सचिव ने कहा, आपने कल अहमदाबाद में राष्ट्रपति ट्रंप के धार्मिक विविधता और सौहार्द के बारे मे उनके उल्लेख को सुना होगा जो भारत में दिखता है एक सवाल के जवाब में श्रृंगला ने कहा, दोनों नेताओं के बीच धार्मिक सौहार्द पर चर्चा सकारात्मक रूप में हुई।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर चर्चा क्षेत्र के सकारात्मक घटनाक्रमों पर केंद्रीत रही। जम्मू कश्मीर पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा के संबंध में उन्होंने कहा, चीजें सही दिशा की ओर बढ़ रही हैं। एक अन्य सवाल के जवाब में श्रृंगला ने कहा कि चर्चा के दौरान पाकिस्तान का मुद्दा सामने आया और भारत ने सीमापार आतंकवाद पर अपनी चिंताओं को रखा। श्रृंगला ने संवाददाताओं को बताया कि दोनों देशों ने मादक पदार्थाे की तस्करी और होमलैंड से जुड़े मुद्दे पर कार्य समूह बनाने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा द्विपक्षीय सहयोग के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक के रूप में सामने आया है। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा क्षेत्र में खरीद, प्रौद्योगिकी और संयुक्त गठजोड़ में भारत को उच्च स्थान देने का आश्वासन दिया है। श्रृंगला ने बताया कि इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच कुल मिलाकर पांच घंटे से अधिक समय तक बातचीत हुई जिसमें वैश्विक परिप्रेक्ष्य और खास कर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संपर्क का विषय भी सामने आया।
विदेश सचिव ने बताया कि भारतीय पक्ष ने आईटी क्षेत्र में भारतीय पेशेवरों के योगदान को रेखांकित करते हुए एच1बी वीजा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की बातचीत में ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभर कर सामने आया।