नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को हैदराबाद विश्वविद्यालय के निकट की भूमि पर बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई के कारण हो रहे पर्यावरणीय नुकसान पर चिंता जताई तथा कहा कि वह पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति आगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वहां पेड़ों की कटाई में जल्दबाजी को लेकर तेलंगाना सरकार से सवाल किया।
पीठ ने तेलंगाना की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा, आपको एक योजना बनानी होगी कि आप उन 100 एकड़ (भूमि) की पूर्व की स्थिति को कैसे बहाल करेंगे। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि शीर्ष अदालत उन वीडियो को देखकर हैरान है, जिनमें पशु आश्रय की तलाश में इधर उधर भागते दिख रहे हैं। पीठ ने तेलंगाना के वन्यजीव वार्डन को वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। मामले की अगली सुनवाई 15 मई को तय करते हुए पीठ ने मौखिक रूप से कहा, इस बीच, वहां एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में राज्य के पेड़ कटाई अभियान का स्वत: संज्ञान लिया और इसे बहुत गंभीर मामला बताया। पीठ ने तेलंगाना सरकार से बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनिवार्यता के बारे में पूछा और अगले आदेश तक भविष्य में ऐसी किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी। हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने विश्वविद्यालय की सीमा से लगी 400 एकड़ भूमि को विकसित करने की राज्य सरकार की योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया था।