भक्ति, ज्ञान और कर्मयोग का संदेश दे गया ‘सुदामा’

एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में हुआ नाटक का मंचन

लखनऊ। थर्ड विंग की नवीनतम् प्रस्तुति भक्ति, ज्ञान और कर्म योग पर आधारित संगीतमय नाटक सुदामा का मंचन गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे आॅडिटोरियम में पुनीत अस्थाना और केशव पंडित के सशक्त निर्देशन में किया गया। इसका नृत्य निर्देशन आकांक्षा श्रीवास्तव ने किया था। इसकी प्रस्तुतकर्ता सरोज अग्रवाल ने ही इसका प्रभावी लेखन और संगीत परिकल्पना भी की थी।
प्रस्तुति के अनुसार सुदामा की कथा, केवल सुदामा की ही नहीं, कृष्ण और सुदामा दो ऐसे मित्रों की कथा है जिनके व्यक्तित्व में पूर्ण विरोधाभास है। श्रीकृष्ण महानायक महाराजनीतिज्ञ और अतुलित वैभवशाली थे। इसके बिलकुल विपरीत, सुदामा भौतिक एवं आर्थिक संकटों से घिरे एक असाधारण पुरुष थे। एक और नीलमणि की कान्ति वाले पीताम्बरधारी, सम्पूर्ण आर्यावर्त में वन्दित और पूजित, द्वारिकापति कृष्ण और दूसरी ओर महल के महाद्वपार पर, जीर्ण-शीर्ण काया वाले, धूल-धूसरित वस्त्रों में खाली पैर, सुदामा नाम का एक भिक्षुक। अद्भुत प्रसंग के तहत द्वारिकाधीश अपने परम मित्र सुदामा का नाम सुनते ही, उनका सत्कार करने नंगे पांव ही दौड़ पड़े थे। नाटक ने यह संदेश भी दिया कि “कामना के साथ यदि कर्म नहीं होगा तो केवल भक्ति उस कामना को पूर्ण नहीं कर सकती है। ठीक उसी तरह जैसे कि एक विद्यार्थी विद्वान बनने के लिए घंटों देव मूर्तियों के सामने बैठकर अपनी सफलता की प्रार्थना करे पर विद्या का अभ्यास न करे तो केवल भक्ति, उसे विद्वान नहीं बना सकती है। इस नाटक की एक और विशेषता यह रही कि इसमें सभी पुरुष पात्रों का अभिनय भी महिलाओं द्वारा ही किया गया है। यह सभी महिलाएं प्रोफेशनल कलाकार न हो कर सामान्य गृहणियां या सेवारत महिलायें रहीं।
नाटक में सूत्रधार की भूमिका केशव पंडित, सुदामा की आनन्दी अग्रवाल, कृष्ण की अलका सिंह, धनीराम की शालिनी अग्रवाल, आत्मा की अन्विता रस्तोगी, बाबा की निविधा अग्रवाल, सुशीला की नदिता पंडित, रुक्मणी की रोमा कपूर, सत्यभामा की अंजलि सचान, ज्ञान की अधिराज अग्रवाल, विवेक की समत्व अग्रवाल, द्वारपाल एक की रत्नांगी पडित, द्वारपाल दो की लावन्या सिंह, नृत्य एवं परिचारिका की भूमिका प्रिशा अग्रवाल और पावनी अग्रवाल ने बखूबी निभायी।
मंच पार्श्व दृश्यबंध परिकल्पना का दायित्व आनंद अस्थाना, दृश्यबंध निर्माण का शकील ब्रदर्स, रूपसज्जा का मनोज वर्मा, वेशभूषा दीपा भागर्व और स्तुति अग्रवाल, प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन का देवाशीष मिश्रा, वीडियोग्राफी का आशुतोष विश्वकर्मा, संगीत संचालन का रत्नांगी पंडित, गायन का जतिन निगम ने अदा कर नाट्य के आकर्षण को बढ़ाया। सहयोगी मंडल में विष्णु अग्रवाल और विनम्र अग्रवाल सहित अन्य शामिल रहे।

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