वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। अक्सर लोगों को कब्ज, पेट में गैस व पेट दर्द जैसी समस्याएं होती रहती है। लोग इसकी वजह गलत खानपान ही समझते हैं जबकि इसका एक कारण तनाव भी है। तनाव की स्थिति में पाचनतंत्र का सिस्टम गड़बड़ाने लगता है।
यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) स्थित गैस्ट्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डा. सुमित रूंगटा ने प्रेस वार्ता के दौरान दी। उनका कहना है कि जिनका पेट अक्सर खराब रहता है वह गौर करेंगे तो पाएंगे कि यह दिक्कत तभी होती है जब आप अधिक तनाव में होते हैं। तनाव का सीधा संबंध हमारे दिमाग और पेट से है। टेंशन होने पर पेट गड़बड़ हो जाता है। लूज मोशन भी हो सकते हैं।
तनाव खत्म नहीं होता है तो ये समस्या धीरे धीरे लीवर पर असर डालने लगती है। कब्ज की शिकायत भी हो सकती है। यहां तक की पाइल्स की परेशानी हो सकती है। उन्होंने बताया कि पेट की बीमारियों पर चर्चा करने के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन 7 व 8 अक्टूबर को कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लखनऊ में यू.पी. चैप्टर आॅफ इंडियन सोसाइटी आॅफ गैस्ट्रोइन्टरोलॉजी के तत्वाधान द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी गोमती नगर स्थित एक निजी होटल में होगी।
जिसमें देश-प्रदेश के जाने माने पेट रोग विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। इस मौके पर मौजूद गैस्टो रोग विशेषज्ञ डा. पुनीत मेहरोत्रा ने बताया कि अनियमित जीवनशैली व गलत खान-पान की आदतों के चलते फैटी लिवर की समस्या आम हो गयी है। समय रहते यदि फैटी लिवर को कम करने के प्रयास न किये जायें तो यह लिवर सिरोसिस की वजह बन सकती है। इसके लिए जरूरी है कि फैटी लिवर होने पर सबसे पहले अपनी दिनचर्या में सुधार करें। जल्दी सोना और समय पर जागना तनाव को कम करने में मददगार हो सकता है। पौष्टिक भोजन करें, गरिष्ठ भोजन से बचें।
उनका कहना है कि कुछ दशक पहले यह बीमारियां इतनी नहीं होती थी। आज के समय में नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीजेज (एन.ए.एफ.एल.डी.) जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। दो दशक पहले इस तरह के लिवर की बीमारी उन्हीं मरीजों में देखी जाती थी जिनको या तो हेपेटाइटिस बी या सी होता था या फिर जिनको नशे की आदत होती थी। आज ऐसे मरीज बहुत पाये जाते हैं, जिन्होने नशीले पदार्थ का सेवन या तो बिल्कुल नहीं किया या अल्प मात्रा में किया।