नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आवागमन की सुविधा के लिए एक समान नीति और पोर्टल तैयार करने पर विचार के लिए बैठक करें।
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर एनसीआर में आवागमन पर कथित रूप से प्रतिबंध लगा हुआ है न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा कि इन राज्यों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अंर्ताज्ईय आवागमन सुगम बनाने के लिए साझा कार्यक्रम तैयार करने पर विचार करना चाहिए।
पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए ऐसी नीति होनी चाहिए जिसमें एकरूपता और तारतम्यता हो। अधिवक्ता अनिंदिता मित्रा के माध्यम से दायर इस याचिका में कोविड-19 महामारी की वजह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में राज्यों की सीमाएं सील होने की वजह से यातायात पर लगे प्रतिबंध को लेकर कई सवाल उठाए गए थे।
पीठ ने कहा कि एक सिफारिश में सुझाव दिया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए एक ही पास होना चाहिए, जो इन राज्यों में भी मान्य हो। पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इस मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करें। पीठ इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगी। हरियाणा की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया कि राज्य ने अपनी सीमाओं पर आवागमन पर लगे सारे प्रतिबंध हटा लिए हैं।
शीर्ष अदालत ने एनसीआर की सीमाओं को पूरी तरह से सील किए जाने को लेकर दायर याचिका पर 15 मई को केन्द्र और दिल्ली, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। याचिका में अनुमति प्राप्त गतिविधियों को भी प्रतिबंधित करने का आरोप लगाते हुए हरियाणा और उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासन की कार्वाई को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि ए प्रतिबंध गृह मंत्रालय के एक मई के नए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हैं।