लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि योगी सरकार मे 69 हजार शिक्षक भर्ती में हुई धांधली और घोर अनियमिततायें हुई है। सरकार ने अभ्यर्थियो का भविष्य अंधकारमय किया। जिसके चलते हाईकोर्ट ने काउंसलिंग में रोक लगा दी है।
चौधरी ने कहा कि सरकार ने पिछले साल 6 जनवरी को भर्ती की परीक्षा करवाई, लेकिन ये अपने आप में पहली ऐसी परीक्षा थी जिसमें अधिकारियों द्वारा परीक्षा से पहले पासिंग मार्क्स का ज़िक्र नहीं किया। परीक्षा होने के एक दिन बाद सरकार ने पासिंग मार्क्स का ज़िक्र किया, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 97 अंक एवं आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंक की बात करी गयी। जिसके बाद विवाद उत्पन्न हुआ और एक पक्ष कोर्ट चला गया। एक साल तक कोर्ट में चले पासिंग मार्क्स विवाद को लेकर भर्ती रुकी रही जो की पूर्ण रूप से अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा था। अगर वो परीक्षा से पहले अहर्ता अंक निर्धारित करते तो भर्ती कोर्ट नहीं जाती।
प्रदेश महासचिव मनोज यादव ने कहा कि परीक्षा से पहले पेपर की उत्तर कुंजी भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। जिसकी बाद में सरकार ने खानापूर्ति की जांच की बस लेकिन जब परीक्षा का परिणाम आया तो उसमें भारी मात्रा में घोटाला देखने को मिला। अयोग्य अभ्यर्थियों के सबसे ज़्यादा नंबर, एक ही कमरे के प्रतियोगीयों के एक जैसे अंक, एक परिवार के लोगों के एक जैसे अंक आदि विवाद परिणाम आने के बाद देखने को मिले।
यादव ने आरोप लगाया कि शिक्षक भर्ती के परिणाम में एक और घोटाला सामने आया है। उन्होंने कहा कि सामान्य उपनाम वाली जातियों के अभ्यर्थी को आरक्षित वर्गों में दिखाया जा रहा है। जो की परिणाम में एक बड़ी धांधली की ओर इशारा कर रहा है। जैसे तिवारी को ओबीसी में या गुप्ता को एसटी में। उन्होंने अधिकारियों की मिलीभगत से भर्ती फंसाने के लिए इसमें कई सुराग़ किए गये हैं जिससे भर्ती अटकी रहे और युवाओं का भविष्य अंधकार में रहे।
शाहनवाज आलम ने कहा कि चयन प्रक्रिया में आरक्षण की हकमारी का आलम ये है सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी ओबीसी कोटे एसटी कोटे में क्वालीफाई हो गये थे। कुमारी अर्चना तिवारी, पंजीकरण संख्या 4900098460 ने ओबीसी वर्ग में चयन प्राप्त किया। विजय कुमार गुप्ता पंजीकरण संख्या 3500067193 ने एसटी वर्ग में चयन प्राप्त किया है। सरकार और प्रशासन की अंधेरगर्दी से आरक्षित वर्ग की सीटो का बंदर-बाट हुआ है। कांग्रेस ने चयन सूची और जिला आवंटन सूची अलग-अलग जारी करने की मांग की है।