लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। खाद्य सुरक्षा अधिकारी से मारपीट के मामले में नामजद और पार्टी से कारण बताओ नोटिस पाने वाले भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर को सदन में बोलने नहीं दिए जाने से नाराज सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा मोना और बसपा के लालजी वर्मा ने कहा कि विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सत्ता पक्ष के विधायकों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित की गई है।
दरअसल गुर्जर सदन में अपनी बात रखना चाहते थे, जिसकी अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने अनुमति नहीं दी। इसके खिलाफ पहले तो सदन के बाहर लॉबी में विरोध प्रकट किया गया लेकिन बाद में गुर्जर सहित उनके समर्थक भाजपा विधायक सदन में आ गए और नारेबाजी करने लगे। उनका साथ विपक्षी सदस्यों ने भी दिया। दीक्षित ने हंगामे के कारण अपराह्र लगभग पौने दो बजे सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।
इसके बाद पंद्रह-पंद्रह मिनट के लिए दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गई। कार्यवाही फिर शुरू होने पर भी सत्ता पक्ष ही नहीं बल्कि विपक्षी विधायकों ने फिर से नारेबाजी शुरू कर दी। वे विधायक एकता जिन्दाबाद के नारे लगा रहे थे। इसके बाद सदन की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। स्थगन के दौरान संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और गन्ना मंत्री सुरेश राण सहित सरकार के कुछ मंत्री गुर्जर को समझाते नजर आए लेकिन बात बनी नहीं।
इससे पहले दीक्षित ने कहा कि उन्होंने समस्या का अध्ययन करने का प्रयास किया है और समस्या का समाधान होगा। इस पर नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने कहा कि जब विधायक की बात ही नहीं सुनी जा रही है तो समस्या का समाधान कैसे होगा। चौधरी ने कहा कि विधायक का अपमान हुआ है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा, कोई अपमानित नहीं हुआ है। विपक्ष को तो कोई न कोई मुद्दा चाहिए।