भीषण बाढ़ की चपेट में 18 जिलों के 619 गांव
लखनऊ। प्रदेश के 18 जिलों सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, बलरामपुर, संतकबीरनगर, महराजगंज, बस्ती, बाराबंकी, खीरी, सीतापुर, बलिया, कुशीनगर, आजमगढ़, बहराइच, अयोध्या, शाहजहांपुर, मऊ, देवनिया और गोंडा के 619 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। घाघरा बाराबंकी व बलिया, राप्ती, गोरखपुर, बूढ़ी राप्ती सिद्धार्थनगर, कुनहरा सिद्धार्थनगर, रोहिन महराजगंज और क्वानों गोंडा में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। घाघरा एलग्रीनब्रिज बाराबंकी व तुतीर्पार बलिया, राप्ती बांसी सिद्धार्थनगर एवं बर्डघाट गोरखपुर में खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। प्रदेश के वर्षा से प्रभावित जिलों में सर्च एवं रेस्क्यू के लिये एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा पीएसी की कुल 66 टीमें तैनाती की गयी है, 5165 नावें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगायी गयी है तथा 972 मेडिकल टीमें लगायी गयी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाढ़ की स्थिति की लगातार समीक्षा कर रहे है। इसके लिए कंट्रोल रूम स्थापित किये गये है। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने नावों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये है। इसके साथ ही जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह लगातार बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करके राहत कार्यों का जायजा ले रहे है।
राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में 1102 बाढ़ शरणालय और 1293 बाढ़ चौकी स्थापित की गई हैं। प्रदेश के वर्षा से प्रभावित जिलों में सर्च व रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की कुल 66 टीमें लगाई गई हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ ने बाढ़ प्रभावित 35187 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। गोरखपुर में 181,सिद्धार्थनगर में 317, महराजगंज के 78 गांवों में भरा बाढ़ का पानी भरा हुआ है जबकि बस्ती जिले की दो तहसीलों के 53 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। संतकबीरनगर में बाढ़ से 38 गांव प्रभावित हैं जबकि देवरिया में 70 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। कुशीनगर में 9 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है।
गौरतलब है कि नेपाल के पहाड़ियों पर लगातार हो रही बारिश से उत्तर प्रदेश के बस्ती और गोरखपुर मंडल में बाढ़ का कहर जारी है। दोनों मंडलों के 756 गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। इससे पांच लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित है। हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गई हैं। ज्यादातर परिवारों ने बांधों पर शरण ली। रोहिन नदी के खतरे के निशान से 2.53 मीटर ऊपर बह रही है। जंगल कौड़िया क्षेत्र के एसबीएम स्कूल के सामने इस नदी का पानी गोरखपुर-सोनौली राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ गया है। इससे सोनौली से गोरखपुर की तरफ आने वाली सड़क से आवागमन रोक दिया गया है। अब एक लेन से ही दोनों तरफ की गाड़ियां निकाली जा रही हैं। अगर जलस्तर और बढ़ा तो अंतरराष्ट्रीय सीमा (नेपाल) तक जाने वाली सड़क से आवागमन पूरी तरह ठप हो जाएगा। बीआरसी व नवनिर्मित आईटीआई परिसर भी बाढ़ के पानी से लबालब भरे हैं।
गोरखपुर से होकर बहने वाली छह नदियां उफना रही हैं। इससे सातों तहसील क्षेत्र के 200 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। राप्ती नदी खतरे के निशान से 1.97 मीटर ऊपर बह रही है। इससे बंधों पर जबरदस्त दबाव है। शहरी क्षेत्र के हर्वर्ट बंधे से रिसाव हुआ है। इससे नेताजी सुभाष चंद्र बोसनगर के लोग दहशतजदा हैं। सहजनवां क्षेत्र के बोक्टा-बरवार बंधे के पास बोल्डर पिचिंग धंस गया है। बंधे पर कटान का खतरा है। नौसड़ के पास भी बंधे से रिसाव हो रहा है। राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने बताया कि प्रदेश के वर्तमान में सभी तटबन्ध सुरक्षित हैं, कहीं भी किसी प्रकार की चिन्ताजनक परिस्थिति नहीं है। उन्होंने बताया कि पीड़ित लोगों को ड्राई राशन व फूड पैकेट वितरित किये गये है। एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की टीमे तैनात की गयी है।
बाढ़ पीड़ितों को तत्काल राहत उपलब्ध कराने का कार्य भी किया जा रहा है। प्रसाद ने बताया कि गत 24 घंटे में प्रदेश में 2.7 मिमी औसत वर्षा हुई है, जो सामान्य वर्षा से 7.6 मिमी के सापेक्ष 36 प्रतिशत है। इस प्रकार प्रदेश में 1 जून से अब तक 580.7 मिमी औसत वर्षा हुए, जो सामान्य वर्षा 628.9 मिमी के सापेक्ष 92 प्रतिशत है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ द्वारा 35187 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। प्रसाद ने बताया कि अब तक कुल 95315 ड्राई राशन किट वितरित किए गये हैं। अब तक कुल 405904 फूड पैकेट वितरित किए गए हैं। प्रदेश में 1131 बाढ़ शरणालय तथा 1321 बाढ़ चौकी स्थापित की गयी है। प्रदेश में अब तक कुल 1158 पशु शिविर स्थापित किये गये हैं। विगत 24 घंटों में पशु टीकाकरण की संख्या 13607 तथा अब तक कुल पशु टीकाकरण की संख्या 669853 है।