एक साल से अधिक समय हो गया जब कोरोना के कारण स्कूल-कालेज बंद किये गये थे और ज्यादातर आज भी बंद हैं। अक्टूबर माह में स्कूल खोले गये थे लेकिन क्लास चलाने की अनुमति नहीं थी। बच्चे केवल अध्यापकों से मिल सकते थे, लेकिन ज्यादातर स्कूलों ने छात्रों को यह सुविधा भी नहीं दी। सरकारी स्कूल में छात्र आये नहीं और प्राइवेट स्कूलों ने स्कूल बंद होने का बहाना करके अध्यापकों को वेतन नहीं दिया और इस तरह सरकारी-प्राइवेट सभी तरह की शिक्षा ठप हो गयी।
कुछ महंगे और कान्वेंट स्कूलों ने ऑनलाइन के नाम पर नाम मात्र की कक्षाएं चलायीं लेकिन सरकारी गाइड लाइन के नाम पर कक्षाएं नहीं शुरू की जिससे कान्वेंट स्कूलों के छात्र भी पढ़ाई नहीं कर सके और इस तरह शिक्षण गतिविधियां पूरी तरह ठप रहीं। छात्रों का पूरा एक साल बर्बाद हो गया। सरकारी अध्यापकों ने घर बैठे वेतन लिया और प्राइवेट स्कूल ने अध्यापकों को निकाल दिया।
अब उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि कक्षा एक से आठ तक के सभी छात्रों को बिना किसी परीक्षा के प्रमोट कर दिया जायेगा और अपै्रल से नया शैक्षिक सत्र शुरू होगा। गौरतलब है कि 25 एवं 26 मार्च को उत्तर प्रदेश में परीक्षाएं होनी थीं लेकिन सरकार ने 24 अपै्रल से 31 मार्च तक होली की छुट्टी घोषित कर दी और 1.6 करोड़ बच्चों को झटके में बिना परीक्षा के पास कर दिया। इस तरह एक साल तक बच्चों को स्कूल का मुंह देखने का मौका नहीं मिला और लगातार दो-दो साल बिना परीक्षा के पास किये गये।
इतना बड़ा गैप पढ़ाई के प्रति बच्चों की रुचि कम करने के लिए काफी है। अब एक अपै्रल से कक्षाएं शुरू करने का प्रस्ताव है लेकिन ऐसा होगा ऐसी उम्मीद कम है, क्योंकि हो सकता है कि सरकार कोरोना की नयी लहर के मद्देनजर नयी गाइड लाइन जारी कर दे जिससे स्कूल खुलने ही न पायें और अगर ऐसा होता है तो यह छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ होगा। क्योंकि प्रदेश सरकार ने स्कूल खोलने पर जिस तरह से रोक लगायी है उससे सरकारी और प्राइवेट दोनों सिस्टम में पढ़ाई नहीं हो सकी।
जो अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए गंभीर हैं उनको बड़ा झटका लगा है। इसलिए प्रदेश सरकार को अब स्कूल को बंद नहीं करना चाहिए और न ही ऑनलाइन कक्षाओं पर नियम एवं शर्तें थोपना चाहिए। सरकारी स्कूलों में जैसी पढ़ाई होती है उसे बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन ऐसे अभिभावकों की संख्या बहुत अधिक है जो अपने जीवन की अधिकांश कमाई बच्चों की शिक्षा के नाम पर किसी कान्वेंट स्कूल की फीस के रूप में अदा करते हैं।
अगर सरकार ने स्कूल बंद कर दिये तो इससे ऐसे अभिभावकों का बहुत अधिक शोषण होगा। इसलिए सरकार को शिक्षा के प्रति गंभीर होना चाहिए और चाहे जैसे हो कोरोना से बचाव के सारे उपायों के साथ स्कूल खोलना चाहिए और एक-दो घंटे नहीं बल्कि पूरे समय तक स्कूल चलाना चाहिए। अगर महामारी की लहर बढ़ती है तो ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए बच्चों को कम से दिन में पांच घंटे की पढ़ाई करायी जाये।





