राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देशित करेंगे राष्ट्रपति : कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच सोमवार को उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मामले में दखल देंगे और राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देशित करेंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने यह आरोप भी लगाया कि विधानसभा सत्र बुलाने से जुड़े राज्य कैबिनेट के प्रस्ताव को नहीं मानना कानून और संवैधानिक परंपराओं के खिलाफ है तथा ऐसे कदमों से संसदीय लोकतंत्र कमजोर होता है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से भी पूछा जाना चाहिए कि विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग के संदर्भ में उनकी क्या राय है। चिदंबरम ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, मैं आशा करता हूं कि जिस तरह से संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है, राष्ट्रपति उसका संज्ञान लेंगे और इन हालात में जो सही है वो करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास राज्यपाल को यह बताने का पूरा अधिकार है कि वह क्या गलत कर रहे हैं और उनसे विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कह सकते हैं।

एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा, मेरा अब भी मानना है कि राष्ट्रपति दखल दे सकते हैं और राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देशित कर सकते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया, 2014 से भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त किए गए राज्यपालों ने बार बार संविधान की मूल भावना का उल्लंघन किया है। इस प्रक्रिया में संसदीय लोकतंत्र और इसकी परंपराओं को नुकसान पहुंचाया है।

चिदंबरम ने कहा, मैं याद दिलाना चाहता हूं कि अरुणाचल प्रदेश (2016), उत्तराखंड (2016) और कर्नाटक (2019) में राज्यपालों द्वारा किए गए संविधान के घोर उल्लंघन को लेकर अदालतों ने ऐतहासिक फैसले दिए। उन्होंने दावा किया कि इन फैसलों और मौजूदा कानून के बावजूद राजस्थान के राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने से जुड़े राज्य मंत्रिपरिषद के आग्रह को मानने में अवरोध पैदा किया और लगातार अवरोध पैदा कर रहे हैं।

पूर्व गृह मंत्री ने कहा, यह तय कानून है कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करेगा। इस मामले में राज्यपाल का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। राज्यपाल का आग्रह को नहीं मानना निरर्थक और उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है। उनके मुताबिक, अगर मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया गया है कि उनके पास बहुमत नहीं है और ऐसे में वह सदन में बहुमत साबित करना चाहते हैं तो वह इसके लिए सत्र बुलाने को अधिकृत हैं। उनके रास्ते में कोई नहीं आ सकता। विधानसभा सत्र बुलाने में कोई रुकावट पैदा करने से संसदीय लोकतंत्र का आधार कमजोर होगा।

चिदंबरम ने कहा, राजस्थान के राज्यपाल के रुख से हम अचंभित और आहत हैं। इसलिए हमने आज देश भर में राजभवनों के समक्ष प्रदर्शन किया ताकि संविधान के उल्लंघन की तरफ जनता का ध्यान खींचा जा सके। उन्होंने कहा, हम आशा करते हैं कि राज्यपाल सिर्फ और सिर्फ कानून की अनुपालना करेंगे।

उन्हें याद रखना होगा कि संविधान और कानून के अलावा उनका कोई दूसरा मास्टर नहीं है। उन्हें विधानसभा का सत्र बुलाने की तत्काल अनुमति देनी चाहिए। गौरतलब है कि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव कुछ बिंदुओं के साथ सरकार को वापस भेजा है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके साथ ही राजभवन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि राजभवन की विधानसभा सत्र नहीं बुलाने की कोई भी मंशा नहीं है। राजभवन ने जो तीन बिंदु उठाए हैं उनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए। राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने विधानसभा सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिए राज्यपाल को शनिवार देर रात एक संशोधित प्रस्ताव भेजा था।

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