तनाव भड़काने की साजिश

सरकार का विरोध करना, अपनी मांगों को मनवाने के लिए धरना, प्रदर्शन, रैली करना, जनता एवं मीडिया के जरिये दबाव डालकर जनहित के लिए सरकार को बाध्य करना, यह सब लोकतंत्र के गुण हैं और एक आदर्श लोकतंत्र इन गुणों के बिना विकसित नहीं हो सकता। लेकिन जब इन सांविधानिक, राजनीतिक एवं लोकतांत्रिक अधिकारों की आड़ में राष्ट्रविरोधी साजिशें होने लगें तो यही अधिकार किस तरह से गलत लोगों के गलत उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल हो जाते हैं, इसका दुखद एवं हिंसक रूप शाहीन बाग प्रदर्शन और उसके बाद अमरीका के राष्ट्रपति की मौजूदगी में दिल्ली में हुई व्यापक हिंसा है।

चंद लोगों ने लोकतंत्र को हथियार बनाकर साजिशें रचीं और ठीक उस समय दिल्ली में दंगा करा दिया जब अमरीका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप भारत यात्रा के दौरान दिल्ली में थे। बंग्लुरू में मोहम्मद साहब को लेकर एक व्यक्ति ने विवादस्पद पोस्ट किया और देखते ही देखते हजारों लोग दंगा करने सड़कों पर उतर आये। अब ऐसी ही साजिश हाथरस कांड को लेकर सामने आयी है।

इतने विशाल एवं विविधताओं वाले देश में हर दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं जिनको अगर सुलगाने का काम किया जाये तो राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने के लिए पेट्रोल से भी ज्यादा ज्वलनशील और बम से भी ज्यादा विस्फोटक हो सकती हैं। दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे हैं जो ऐसे ही मौकों को खोजते रहते हैं ताकि विभिन्न जातियों एवं समुदायों के बीच भेद पैदा कर हिंसा जैसी स्थिति उत्पन्न कर सकें। हाथरस कांड में दरिंगदगी की शिकार बेटी के साथ गैंगरेप हुआ इसके कोई सुबूत नहीं हैं, लेकिन न्याय दिलाने के लिए वजिद लोगों ने गैंगरेप घोषित कर दिया।

हाथरस घटना में जिस तरह का आक्रोश विपक्षी पार्टियों में दिखा, अगर वास्तव में ऐसी संवेदनशीलता होती तो देश में हर पन्द्रह मिनट में रेप की घटना नहीं होती। हाथरस जैसी या इससे भी अधिक दरिंदगी बलरामपुर कांड की शिकार बेटी के साथ हुई, लेकिन पार्टियों में ऐसी संवेदनशीलता बलरामपुर कांड को लेकर क्यों नहीं दिखी? उत्तर प्रदेश में हर दिन औसतन रेप के नौ मामले होते हैं, क्या सभी मामलों में इतनी सजगता पार्टियां दिखाती हैं?

निश्चित रूप से हाथरस कांड में पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली निंदनीय थी, इसके लिए उनको दण्डित भी किया गया है। लेकिन जिस तरह हाथरस कांड को लेकर पार्टियों, प्रदर्शनकारियों ने दो जातियों के बीच भेद उत्पन्न करने का प्रयास किया वह निंदनीय है। सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है कि देश में ऐसा गिरोह हैं जो हर ऐसी जगहों पर पहुंचकर अपनी साजिशों को अंजाम देने के फिराक में रहता है जो सामाजिक, धार्मिक सौहार्द के लिहाज से संवेदनशील हो सकते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस कांड की आड में दंगा भड़काने की साजिशों का भंड़ाफोड़ किया है। सरकार के हाथ जो सुराग हाथ लगे हैं उनसे स्पष्ट है कि हाथरस कांड की आड में प्रदेश को फिर से एनआरसी विरोध की तरह एक साल के भीतर दूसरी बार जलाने की साजिश हो रही थी। यह गंभीर चिंता का विषय है। सरकार को पूरी साजिश का खुलासा करने के साथ दोषियों को हर हाल में कानून के शिकंजे में लाना चाहिए।

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