जैसा कि वैज्ञानिकों ने कहा था वैसा ही हो रहा है। जाड़ों के आते ही कोविड-19 से संक्रमित होने वालों की संख्या में निरंतर वृद्घि होने लगी है, खासकर उत्तर व केन्द्रीय भारत में। इसकी वजह से राज्य सरकारों को कड़े प्रशासनिक कदम उठाने पड़े हैं और अपने कुछ निर्णयों को पलटना भी पड़ा है, जैसे हरियाणा में स्कूलों को एक बार फिर बंद कर दिया गया है।
हालांकि राज्यों ने पूर्ण लॉकडाउन के विकल्प का तो चयन नहीं किया है, लेकिन कुछ पाबंदियां अवश्य लगायी हैं, जैसे मध्य प्रदेश के पांच जिलों (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रतलाम व विदिशा) में रात का कर्फ्यू लगा दिया गया है और गुजरात ने अहमदाबाद में लगे रात्रि के अनिश्चितकालीन कर्फ्यू का विस्तार सूरत, बड़ोदरा व राजकोट में भी कर दिया है। इसी क्रम में राजस्थान के 33 जिलों में धारा 144 लगायी गई है और उत्तर प्रदेश ने महामारी की दूसरी लहर का अलर्ट जारी करते हुए लोगों को घर के भीतर रहने की सलाह दी है। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अनुसार नया कोरोना वायरस की तीसरी लहर चल रही है।
बहरहाल, सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब बच्चों में संक्र मण अधिक बढ़ता हुआ दिखायी दे रहा है। हरियाणा में एक ही दिन में लगभग 150 बच्चों के संक्रमित होने की खबर आयी, जिससे मजबूरन राज्य सरकार को सभी स्कूलों, जिनमें प्राइवेट स्कूल भी शामिल हैं, को फिर से बंद करने का आदेश देना पड़ा। मध्य प्रदेश में भी स्कूल बंद रहेंगे और नवीं से 12वीं तक के छात्र सिर्फ कोई बात समझने के लिए ही स्कूल जा सकते हैं।
हालांकि मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से मई-जून में खबरें आने लगी थीं कि कोविड-19 से बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं। महाराष्ट्र में तो नया कोरोना वायरस से बच्चों की मौतें भी हुईं, लेकिन आम ख्याल यही था कि बच्चों के स्वास्थ्य को यह रोग कोई खास प्रभावित नहीं करता है। अब जो यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट आयी है, जिसमें 87 देशों के डाटा की समीक्षा की गई है।
उससे मालूम होता है कि भारत में कोविड-19 संक्रमण के जो कुल मामले हैं, उनमें लगभग 12 प्रतिशत बच्चे व 20 वर्ष से कम के किशोर हैं, जबकि ग्लोबल स्तर पर इस आयु वर्ग में संक्रमित होने वालों का प्रतिशत 11 है यानी भारत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की तुलना में अधिक बच्चे संक्रमित हो रहे हैं। दरअसल, इस महामारी से बच्चे सिर्फ संक्रमित ही नहीं हो रहे हैं बल्कि उनकी शिक्षा, हेल्थकेयर, पौष्टिकता आदि पर भी कुप्रभाव पड़ रहा है और बाल सुरक्षा हस्तक्षेप भी प्रभावित हो रहे हैं।
जाहिर है इसका बच्चों पर दूरगामी प्रभाव पड़ने जा रहा है। यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘अवेर्टिंग अ लस्ट कोविड जनरेशन में कहा गया है, इस महामारी का प्रभाव बच्चों के जीवन पर वर्षों तक रहेगा, भले ही वैक्सीन जल्द ही क्यों न उपलब्ध हो जाये। इस महामारी के विभिन्न खतरों पर संसार की प्रतिक्रिया यह निर्धारित करेगी कि बच्चों व किशोरों का किस प्रकार का भविष्य बनता है।