पंचायत चुनाव : गांव की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभायेंगे युवा और महिला

  • 46 फीसद से अधिक हैं 35 वर्ष तक के वोटर
  • महिलाओं की औसत भागीदारी भी बढ़ी है

संजय धीमान

लखनऊ। सूबे में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार युवा और महिलाएं गांव की सरकार बनाने में अहम रोल अदा करेंगे। साथ ही इस बार चुनाव की तस्वीर भी कुछ बदली-बदली नजर आ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है सत्तारूढ़ दल से जुड़े जनप्रतिनिधियों का सीधे तौर पर चुनाव में न उतरना है। भाजपा नेतृत्व पहले ही कह चुका है कि इन चुनावों में जनप्रतिनिधि अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार को चुनाव न लड़वाकर सामान्य कार्यकर्ताओं की विजय का रास्ता साफ करें। इससे जिला प्रशासन पर जनप्रतिनिधियों का सीधे कोई दबाव नहीं दिख रहा है। दूसरी ओर, पार्टी के उन कार्यकर्ताओं में उत्साह है, जो इस चुनाव में भाग्य आजमाना चाहते हैं।

आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि पिछले चुनाव की अपेक्षा इस दफा महिला और युवा मतदाताओं की संख्या कहीं अधिक है। वर्ष 2015 के चुनाव में जहां एक हजार पुरुष मतदाताओं पर 875 महिलाएं थीं, वहीं इस बार के चुनाव में यह औसत 886 महिला मतदाताओं का है। इसके अलावा प्रत्याशियों को करीब 46 प्रतिशत युवा मतदाताओं का भी खास ख्याल रखना होगा। हालत यह है कि प्रधानी के लिए बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही महिलाएं युद्धस्तर पर जुट गयी हैं। गांवों में प्रचार तेजी से बढ़ गया है।

एक ओर जहां प्रत्याशी युवाओं को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, वहीं काकी, चाची, भौजी और बहन से भी अपने पक्ष में वोट डालने की प्रार्थना करते देखे जा रहे हैं। पंचायत चुनाव के कुल मतदाताओं में 46 फीसद से अधिक 35 वर्ष तक के युवा वोटर हैं, जो प्रधानी के चुनावों में जबरदस्त प्रभाव डालेंगे। यूपी की कुल 58189 ग्राम पंचायतों की मौजूदा अनुमानित आबादी 18 करोड़ 37 लाख 25 हजार 954 है। चुनाव में 12 करोड़ 39 लाख 74 हजार 150 (67.5 फीसद) मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाता जहां 6 करोड़ 57 लाख 22 हजार 788 (53.01 फीसद) हैं, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 82 लाख 51 हजार 362 (46.99 फीसद) है।

राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक पंचायत चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले एक करोड़ से अधिक युवा मतदाता होंगे। इनमें 21 वर्ष से कम आयु वाले ही 78 लाख से अधिक हैं। खास बात यह है कि कुल मतदाताओं में 35 वर्ष से कम आयु के युवा मतदाताओं की हिस्सेदारी 46 फीसद से अधिक यानी 5.73 करोड़ है। दूसरी तरफ 50 पार वाले मतदाताओं की संख्या 2.98 करोड़ हैं। इसमें 60 वर्ष से अधिक आयु वाले 1.43 करोड़ मतदाता हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में 11.74 करोड़ ही मतदाता थे।

चुनाव में यह भी देखा जा रहा है कि मुद्दे पुराने ही उठ रहे हैं। नाली-खड़ंजा, ट्यूबवेल तथा मनरेगा में रोजगार की बात की जा रही हैं। साथ ही आवास और शौचालयों पर भी हर प्रत्याशी बात करता दिखता है। इसके अलावा सत्ता पक्ष से जुड़े उम्मीदवार महिलाओं और विधवाओं के लिए पेंशन की बात तो कर ही रहे हैं, साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं, छात्रों, युवाओं तथा हर वर्ग के लिए शुरू की गयी योजनाओं के फायदे गिनाना भी नहीं भूल रहे हैं। बाजी किस दल के हाथ लगती है, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि सत्ता पक्ष के लिए यह चुनाव अगले साल होने विधानसभा चुनावों की तस्वीर को भी साफ करेगा।

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