गृहयुद्ध के मुहाने पर पाक

इस्लामाबाद में कठपुतली सरकार बनाकर अपने हिसाब से सत्ता चलाने की जनरल कमर जावेद बाजवा की शातिर चाल को पाकिस्तानी अवाम समझ गयी है। यही कारण है कि सिंध, बलोचिस्तान, खैबरपख्तूनख्वा से लेकर गिलगिट-बाटिस्तान तक बाजवा का विरोध हो रहा है। इमरान खान की कठपुतली सरकार, बाजवा और सेना विपक्षी दलों के निशाने पर है। सेना के खिलाफ जो लोग डर के चलते मुंह बंद किये हुए थे वे अब खुलकर सामने आ रहे हैं।

पाकिस्तान में सेना के घटते इकबाल का ही परिणाम है सिंधु प्रांत की पुलिस और सेना के बीच हुआ संघर्ष। इस संघर्ष में सरकारी रिपोर्ट के अनुसार सिंध पुलिस के 10 जवान सहित 15 लोगों की मौत हो गयी। मौतों का यह आंकड़ा तब है जब पाकिस्तानी मीडिया, सेना और सरकार घटना को दबाने में लगी हैं। सही आंकड़ा इससे अधिक हो सकता है।

दरअसल पाकिस्तानी सेना 11 विपक्षी दलों के गठबंधन ‘पाकिस्तान डेमोके्रटिक मूवमेंट’ पीडीएम की साझा रैली और इसमें उमड़े जनसैलाब से घबरा गयी है। कराची में 18 अक्टूबर को हुई रैली को प्रमुख विपक्षी नेताओं के साथ ही लंदन से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी संबोधित किया था।

नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के बदतर हालात के लिए इमरान खान को कोसने के साथ ही सेना अध्यक्ष जनरल बाजवा को भी नहीं बख्शा था। शरीफ ने इमरान और बाजवा में मिली भगत का आरोप भी लगाया था। दरअसल यह बात बहुत पहले से कही जा रही है कि पाकिस्तान में इमरान खान चुनाव में जनता द्वारा इलेक्ट होकर प्रधानमंत्री नहीं बने हैं बल्कि जनरल बाजवा ने सेना की कठपुतली के रूप में इमरान को सेलेक्ट किया है।

इसी के चलते पाकिस्तान को पूरी तरह बाजवा चला रहे हैं और पीएम के रूप में इमरान खान ने जनरल बाजवा को ईनाम के रूप में कार्यकाल बढ़ा दिया। इस तरह पहले बाजवा ने इमरान को कुर्सी पर बैठाया और फिर इमरान बाजवा का कार्यकाल बढ़ाया।

इमरान-बाजवा के इस नापाक गठबंधन के खिलाफ पाकिस्तान के 11 विपक्षी दलों ने मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट पीडीएम नाम से साझा मोर्चा बनाया है जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग, पीपीपी सहित सभी प्रमुख विपक्षी दल, कट्टरपंथी और ताकतवर मौलाना भी शामिल हैं।

18 मार्च को कराची की विशाल रैली और उसमें नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरयम नवाज के भाषण देने के बाद सेना चिढ़ गयी और उसने सिंध प्रांत के पुलिस प्रमुख आईजी मुश्ताक मेहर का अपहरण कर उनके साथ मारपीट की और नवाज शरीफ के परिवार पर कार्रवाई का दबाव बनाया।

रैली के बाद बहुत ही नाटकीय ढंग से कराची के एक होटल से नवाज शरीफ के दामाद सफदर अवान को गिरफ्तार कर लिया गया। दरअसल सिंध प्रांत की पुलिस इसके पक्ष में नहीं थी, लेकिन सेना ने गिरफ्तारी का दबाव बनाने के लिए पुलिस प्रमुख का अपहरण किया।

अपने मुखिया के अपहरण एवं उत्पीड़न से सिंध की पुलिस में भारी आक्रोश था और जब सेना एसपी मुश्ताक अहमद अनवर को भी गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही थी तो पुलिस का सेना पर आक्रोश भड़क गया। बहरहाल संघर्ष तात्कालिक आक्रोश के चलते हुआ लेकिन जिस तरह विरोध की आवाज दबाने के लिए सेना दमन कर रही है उससे कभी भी पाकिस्तान में गृहयुद्ध शुरू हो सकता है।

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