नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत अब इस दुनिया में नहीं हैं। रविवार को उन्होंने मुंबई स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी आत्महत्या की पुष्टि हो चुकी है। लेकिन, उन्होंने खुदकुशी क्यों की? इसका कारण अभी पता नहीं चल सका है। सुशांत की आत्महत्या की खबर आने के बाद सोशल मीडिया पर मेंटल हेल्थ को लेकर चर्चा भी होने लगी हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि, सुशांत पिछले 6 महीने से डिप्रेशन में थे और अपना इलाज करवा रहे थे। हमेशा से ही मेंटल हेल्थ बहुत गंभीर विषय रहा है, लेकिन इस पर कभी उतना खास ध्यान नहीं दिया गया। पिछले साल दिसंबर में साइंस जर्नल द लैंसेट की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 2017 तक 19.73 करोड़ लोग (कुल आबादी का 15%) किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे।
हर 7 में से 1 भारतीय बीमार
यानी, हर 7 में से 1 भारतीय बीमार है। इनमें से भी 4.57 करोड़ डिप्रेशन और 4.49 करोड़ एंजाइटी का शिकार हैं। डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि हर साल 8 लाख लोग मानसिक बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर लेते हैं। इसके अलावा हजारों लोग ऐसे भी होते हैं, जो आत्महत्या की कोशिश करते हैं। आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन और एंजाइटी है।
15 से 29 साल की उम्र के लोग ज्यादा होते हैं डिप्रेशन में
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। 15 से 29 साल की उम्र के लोगों में आत्महत्या की दूसरी सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन ही है। भारत में इसके आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत में हर साल एक लाख लोगों में से 16.3 लोग मानसिक बीमारी से लड़ते-लड़ते आत्महत्या कर लेते हैं।
रूस के बाद भारत दूसरे नंबर पर
इस मामले में भारत, रूस के बाद दूसरे नंबर पर है। रूस में हर 1 लाख लोगों में से 26.5 लोग सुसाइड करते हैं। वहीं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से लेकर 2018 के बीच 52 हजार 526 लोगों ने मानसिक बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली।





