हरियाली तीज पर शिव-पार्वती को चढ़ायें सुहाग का सामान, होगा शुभ

लखनऊ। इस साल हरियाली तीज का त्योहार 19 अगस्त 2023 को है। हर साल यह व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रखा जाता है। इसे हरियाली तीज या श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे सोलह श्रृंगार कर शिव.गौरी की पूजा करती हैं।

मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरियाली तीज की पूजा के लिए सोलह श्रृंगार का बहुत ज्यादा महत्व होता है। साथ ही इस दिन कुछ पूजा सामग्रियों का होना अति आवश्यक होता है। हरियाली तीज आने ही वाली है। ऐसे में पहले से ही आप पूजा सामग्रियों को इकट्ठा कर लें। आइए जानते हैं हरियाली तीज की पूजा थाली कैसे सजाएं और किन सामग्रियों को शामिल करें।

हरियाली तीज की पूजा सामग्री

हरियाली तीज की पूजा के लिए सबसे पहले मां पार्वती और शिवजी की मूर्ति रखें। साथ ही एक चौकी भी तैयार करें। वहीं पूजा सामग्री के लिए आप पीला वस्त्र, कच्चा सूत, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी, कपूर, अबीर.गुलाल, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत रखें।

मां पार्वती को चढ़ायें ये चीजें

हरियाली तीज के दिन खुद श्रृंगार करें। साथ ही मां पार्वती को भी सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करने के लिए एक हरे रंग की साड़ी, चुनरी और सोलह श्रृंगार से जुड़े सुहाग के सामान में सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, माहौर, खोल, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, मेहंदी, दर्पण और इत्र जैसी चीजों को जरूर रखें।

हरियाली तीज की पूजा विधि

हरियाली तीज के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद नए वस्त्र पहनें। इस दिन सोलह श्रृंगार जरूर करें और पूरे दिन निर्जला व्रत रहें। हरियाली तीज के दिन शिव जी और मां पार्वती के साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है। इस दिन पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर इस चौकी में भगवान की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। फिर पूजा शुरू करें। सबसे पहले सभी सामग्री भगवान को अर्पित करें। इसके बाद माता पार्वती को सोलह श्रृंगार से जुड़े सभी सामानए साड़ी और चुनरी अर्पित करें। हरियाली तीज की व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें। इसके बाद आरती करें और अखंड सौभाग्य की कामना करें।

 

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