मानव जीवन तमाम झंझावातों से घिरा है और ऐसे में ईश्वर का संबल ही जीवन को आसान और कठिन मार्गों पर भी आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है। जीवन में कष्ट और कठिनाइयों की कमी नहीं है। मनुष्य के सामने आये दिन संकट आते रहते हैं। इनमें से कई बाधाएं तो इतनी विकट होती हैं कि उनसे छूटना दुस्तर मालूम देता है।
मनुष्य जब अपनी तुच्छ सामर्थ्य और परिस्थिति की भयंकरता की तुलना करता है तो उसकी हिम्मत टूट जाती है। आंखों के सामने निराशापूर्ण अंधकार दिखाई पड़ता है। संसार में अपना सहायक भी नहीं मिलता और उस भयंकर परिस्थिति के टलने की सूरत नहीं दीखती। ऐसी परिस्थिति में यदि कोई व्यक्ति सच्चे हृदय से माता की पुकार करता है तो ग्राह से गज को बचाने के लिए नंगे पैर भागने वाले भगवान की तरह माता सहायता को आती हैं।
द्रोपती की लाज बचाने के लिए चीर बढ़ाने की शक्ति माता में मौजूद है। संसार को भवसागर कहा गया है। उनमें ऐसे मगरमच्छों की कमी नहीं है जो हमें निगल जाने के लिए हर घड़ी घात लगाये रहते हैं। जब भी मौका मिलता है तभी धर दबोचते हैं और बोटी-बोटी नोंच डालते हैं। इन महाग्रहों से बचने का प्रयत्न मनुष्य करते हैं, कई बार अपनी प्राण रक्षा कर भी लेते हैं पर कभी ऐसे भी अवसर आते हैं जब हाथ पांव फूल जाते हैं और निराशा एवं किंकर्त्तव्य विमूढ़ता सामने आ खड़ी होती।
ऐसे अवसरों पर माता की करुणा डूबते को बचा सकती है। उसकी भुजाओं में वह सामर्थ्य है कि भव सागर से अपने भक्त को उबार ले और मगर मच्छों से उसके प्राण बचा ले। मनुष्य के पास अपना बल बहुत सीमित है। उससे वह बहुत थोड़े काम कर सकता है और बहुत थोड़ी सफलता पा सकता है। परन्तु जब गायत्री महाशक्ति का बल उसे प्राप्त हो जाता है, तो लंका को राम की सहायता से फतह करने वाले बानरों की तरह उसका साहस और बल बहुत बढ़ जाता है एवं दुस्तर कठिनाई स्वल्प प्रयत्न से ही सरल बन जाती है।
उसे अनुभव होता है मानों सफलता की देवी ने प्रसन्न होकर स्वयं ही मुझे गोदी में उठा लिया है और महान आपदाओं से बचा लिया है। महान उद्धारकर्त्री माता अपने भक्तों को डूबने नहीं देती जो उसकी शरण में जाता है वह उसे उबारती है। उनकी शरणागति से बढ़कर और कोई ऐसी नौका नहीं है जो संसार सागर से सरलतापूर्वक तर सके। जिसने माता की भुजाओं का संबल पकड़ लिया, वह पतन के गर्त में नहीं गिर सकता, वह ऊपर को ही उठेगा। मां अपने भक्तों को उबारने के लिए हर संकट के समय जरूर मददगार बन जाती हैं।