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धान व मक्का खरीद का भुगतान किसानों को 72 घंटे में मिल रहा
लखनऊ। दलहन के क्षेत्र में मूंगफली के क्रय का भी कार्यक्रम जल्द ही प्रारम्भ किया जायेगा, ताकि किसानों को अपनी फसल बचने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े और उन्हें राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य समय पर उनकों मिलता रहे।
अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा निरन्तर धान खरीद की समीक्षा की जा रही है। इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि किसानों के धान की खरीद समय से हो तथा उन्हें धान व मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य अवश्य मिले। धान और मक्का की खरीद का भुगतान किसानों को 72 घंटे के अन्दर सुनिश्चित किया जाये। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जिलाधिकारी की यह जिम्मेदारी है कि किसानों को किसी प्रकार की समस्या न होे तथा क्रय केन्द्र सुचारू रूप से कार्य करे।
अधिकारियो, कर्मचारियों द्वारा लापरवाही करने पर उनके विरूद्ध कार्यवाही की गयी है तथा शिकायत मिलने पर वरिष्ठ अधिकारियों को निलम्बित भी किया गया है। धान क्रय केन्द्र पर शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी की जिम्मेदारी होगी। धान क्रय केन्द्रों पर जिलाधिकारी तथा अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा निरन्तर अनुश्रवण तथा आकस्मिक निरीक्षण करे। अब तक 135.54 लाख कुंतल धान की खरीद की जा चुकी है। जो पिछले वर्ष से बहुत अधिक है। अब तक किसानों से 1,17,945.50 कुंतल मक्का की खरीद की जा चुकी है। जो गत वर्षों से काफी अधिक है।
पराली प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। पिछले कई वर्षों से पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आयी है। राज्य सरकार द्वारा पराली प्रबंधन पर अनुदान दिया जा रहा है, ‘पराली दो और खाद लो’ इस प्रकार के अभियान कई जनपदों में चलाये जा रहे है। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने शिक्षिक भर्ती का रास्ता साफ कर दिया हैं, मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि औपचारिकता पूरी करके शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जल्द की वितरित किये जायेंगे।
सहगल ने बताया कि प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां और अधिक तेजी से बढ़ें, इसके लिए प्रदेश सरकार निरन्तर प्रयास कर रही है। इसके अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए तथा आर्थिक गतिविधियां को और बढ़ाने के लिए सरकार के प्रोत्साहन से नई एमएसएमई इकाइयां खुल रही है। सूक्ष्म, लघु, मध्यम एवं वृहद श्रेणी की 8,18,269 इकाइयॉ क्रियाशील हैं, जिनमें 51.78 लाख श्रमिक कार्यरत हैं। पुरानी इकाइयों को कार्यशैली पूंजी की समस्या से निजात दिलाने के लिए बैंकों से समन्वय करके आत्मनिर्भर पैकेज में 4.37 लाख इकाईयों को 10,853 करोड के ऋण स्वीेकृत कर वितरित किये जा रहे हैं।