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सीमांत प्रौद्योगिकियों में निपुणता हासिल करना समय की मांग है : राजनाथ सिंह

एकीकरण और एकजुटता के माध्यम से सशस्त्र बल अधिक कुशलता से चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे

लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को मध्य प्रदेश के महू में आर्मी वॉर कॉलेज (एडब्ल्यूसी) में अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, “आज के लगातार विकसित होते समय में सीमांत प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करना समय की मांग है और सैन्य प्रशिक्षण केंद्र हमारे सैनिकों को भविष्य की चुनौतियों का मुकाबला करने को महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।” युद्ध के तरीकों में देखे जा रहे आमूल-चूल परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि सूचना युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित युद्ध, छद्म युद्ध, विद्युत-चुंबकीय युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और साइबर हमले जैसे गैर-परंपरागत तरीके आज के समय में बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने जोर दिया कि सेना को ऐसी चुनौतियों का मुकाबला करने को बेहतर तरीके से प्रशिक्षित और सुसज्जित रहना चाहिए। उन्होंने महू में प्रशिक्षण केंद्रों की इन प्रयासों में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए सराहना की। उन्होंने बदलते समय के साथ अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में लगातार सुधार करने और कर्मियों को हर तरह की चुनौती के लिए तैयार करने के प्रयासों के लिए केंद्रों की सराहना की। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने के विजन पर प्रकाश डाला और वर्तमान समय को संक्रमण काल बताया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारत निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है और तेजी से एक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। सैन्य दृष्टि से हम आधुनिक हथियारों से लैस हो रहे हैं। हम दूसरे देशों को मेड-इन-इंडिया उपकरण भी निर्यात कर रहे हैं। हमारा रक्षा निर्यात, जो एक दशक पहले लगभग 2,000 करोड़ रुपये का था, आज 21,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। हमने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये का निर्यात लक्ष्य रखा है।”

रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण और एकजुटता को मजबूत करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और विश्वास जताया कि आने वाले समय में सशस्त्र बल बेहतर और अधिक कुशल तरीके से चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि महू छावनी में सभी विंग के अधिकारियों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने अधिकारियों से इन्फैंट्री स्कूल में हथियार प्रशिक्षण; मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) में एआई और संचार प्रौद्योगिकी और एडब्ल्यूसी में जूनियर और सीनियर कमांड में नेतृत्व जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण के माध्यम से एकीकरण को बढ़ावा देने की संभावना तलाशने का आग्रह किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि भविष्य में कुछ अधिकारी रक्षा अताशे के रूप में काम करेंगे और उन्हें वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। श्री सिंह ने कहा – “जब आप रक्षा अताशे का पद संभालेंगे, तो आपको सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को आत्मसात करना चाहिए। आत्मनिर्भरता के माध्यम से ही भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकता है और विश्व मंच पर अधिक सम्मान हासिल कर सकता है।”

रक्षा मंत्री ने भारत को दुनिया की सबसे मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्तियों में से एक बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा – “आर्थिक समृद्धि तभी संभव है जब सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाए। सुरक्षा व्यवस्था भी तभी मजबूत होगी जब अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। हम 2047 तक न केवल एक विकसित राष्ट्र बन जाएंगे, बल्कि हमारी सशस्त्र सेनाएं भी दुनिया की सबसे आधुनिक और सबसे मजबूत सेनाओं में से एक होंगी।” राजनाथ सिंह ने अधिकारियों से डॉ. बी.आर. अंबेडकर के समर्पण और भावना के मूल्यों को आत्मसात करने का भी आग्रह किया। उन्होंने बाबा साहब को न केवल भारतीय संविधान का निर्माता बताया, बल्कि एक दूरदर्शी मार्गदर्शक भी बताया। उन्होंने खासकर युवाओं को उनके मूल्यों और आदर्शों से परिचित कराने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

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