लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस अवधारणा के साथ ‘एक जिला-एक उत्पाद’ लाने की पहल की थी, आज उसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। उत्तर प्रदेश में इस योजना की सफलता को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस योजना को अंगीकार करते हुए ‘निर्मल मन’ योजना के तहत इसे पूरे देश में लागू करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को हार्दिक बधाई भी दी है।
इस योजना से लोगों को अपने गांव जवार में ही काम मिलने से उनका दूसरी जगहों पर पलायन तो रुकेगा ही, लोगों को घर के करीब ही रोजगार मुहैया होने से उनकी रोजाना की मुश्किलें भी कम होंगी। भदोही के कालीन उद्योग के साथ ही अन्य जिलों के परंपरागत कुटीर उद्योगों को भी जीवनदान मिलेगा। यूपी में ऐसा हुआ भी है। अब केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मिलने के बाद यूपी में इस योजना के पंख लगना तय माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश तो वैसे ही साहित्य, संगीत और कला से भरपूर ऊर्जा वाला राज्य है। कला के कद्रदानों की भी यहां कमी नहीं है। गंवई कला, संस्कृति, शिल्प और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआत में इस तरह की योजना पर विचार किया था। इसी को ध्यान में रखते हुए ही उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने दो साल पहले ‘एक जिला-एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना शुरू करके उसे तेजी से अमली जामा भी पहनाया।
इसका मकसद प्रदेश के संतुलित विकास के लिए 75 जनपदों में पारम्परिक उद्योगों का विकास और इससे जुड़े कारीगरों व व्यक्तियों को मुख्य धारा से जोड़ना है। निश्चित रूप से सरकार का यह कदम जहां हस्तशिल्प को बढ़ावा देगा, वहीं यह बड़ी संख्या में लोगों को साधन संपन्न बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा। इससे रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
यदि यूपी में इसके नतीजों की बात की जाए तो योगी सरकार ने योजना लाने के कुछ माह बाद ही ओडीओपी समिट आयोजित कर जिलों में छिपे कौशल को उभारने का कार्य शुरू कर दिया। इससे कला-शिल्प का सम्मान तो बढ़ा ही, देश का मान भी बढ़ा। यही कारण है कि आज केंद्र सरकार ने इसे अंगीकार किया है। जाहिर सी बात है कि गांव जब सीधे रोजगार से जुड़ेंगे, तो आर्थिक मजबूती आएगी और किसान के साथ ही आमजन भी खुशहाल होगा। हर गांव में बसने वाली वहां की खास कला को यदि विकसित कर दिया जाए तो सफल कुटीर उद्योग का सपना फलीभूत हो जाएगा। जैसे यूपी के हर जिले में कोई न कोई हुनर विद्यमान है, वैसे ही देश के विभिन्न जिलों में भी यह कौशल छिपा है।
उत्तर प्रदेश के कुशल कारीगरों ने तो राज्य के हस्तशिल्प को सारी दुनिया में प्रसिद्ध किया है। अब भी बहुतेरे ग्रामीणों की आजीविका ही हस्तशिल्प है। लखनऊ का चिकन-जरदोजी और भदोही की कालीन जहां दुनिया भर में अपना लोहा मनवाता है तो सहारनपुर में काष्ठ कला का परचम फहराता है। बनारस की साड़ी की लहर सारी दुनिया को लुभाती है। मुरादाबाद को तो पीतल नगरी के नाम से ही जाना जाता है। इसी प्रकार किसी न किसी हस्तशिल्प के कारण भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी उत्तर प्रदेश के हर जिले का डंका बजता है।
यह है ओपीओडी योजना
दरअसल हर जिले में एक ऐसे उत्पाद की विशेषता होती है जो वहां के लोगों को सीधे रोजगार से जोड़ सकती है। जैसे बनारस की साड़ी और लखनऊ का चिकन तथा जरी-जरदोजी उद्योग। पर इनकी ब्रांडिंग न होने तथा उचित संसाधन मुहैया न होने कारण स्थानीय लोग इनका लाभ नहीं उठा पाते। इसी को दृष्टिगत रखते हुए योगी सरकार ने यह महत्वाकांक्षी योजना शुरू करके लोगों को लाभन्वित करने का काम किया।
हर जिला संजोए है एक विशिष्ट उत्पाद
अमरोहा-वाद्य यंत्र, अमेठी-मूंज उत्पाद, अलीगढ़-ताले एवं हार्डवेयर, अंबेडकरनगर-वस्त्र उत्पाद, कानपुर और आगरा-चमड़े के उत्पाद, आजमगढ़-काली मिट्टी की कलाकृतियां, इटावा-वस्त्र, इलाहाबाद-मूंज उत्पाद, उन्नाव-जरी-जरजोदी, एटा-घुंघरू, घंटी, औरैया-दुग्ध प्रसंस्करण (देशी घी), कन्नौज-इत्र, संभल-हस्तशिल्प (हार्न बोन), सीतापुर-दरी,श्रावस्ती-जनजातीय शिल्प, मुजफ्फरनगर-गुड़, पीलीभीत-बांसुरी, मेरठ-खेल सामग्री (बैट-बाल) तथा अन्य सभी जिलों में भी इसी तरह के घरेलू उत्पाद जग प्रसिद्ध हैं।
रोजगार के अपार अवसर
ओडीओपी योजना सफल होने से यूपी में हर साल पांच लाख युवाओं को नौकरियां मिलेंगी। ओडीओपी योजना से उत्तर प्रदेश की छवि को बदलने और नई पहचान दिलाने का कार्य हुआ है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एम0एस0एम0ई0) को प्रोत्साहन देने की दिशा में इसे एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है। उत्तर प्रदेश में योगी ने ओडीओपी के विकास के लिए राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मांग के अनुरूप उत्पादन हेतु तकनीकी सहयोग, वित्तीय सहयोग, गुणवत्ता सुधार, पैकेजिंग व डिजाइनिंग तथा कला-कौशल में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण व अवस्थापना सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण एवं निर्मित उत्पादों के विपणन में सहायता की रणनीति अपनाने पर बल दिया है।