शारदीय नवरात्र 22 से, हाथी पर सवार होकर आयेंगी मां दुर्गा

लखनऊ। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का अत्यंत महत्व है। नवरात्रि का पर्व वर्ष में चार बार आता है, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है और अन्य दो चैत्र और शारदीय नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। इसमें शारदीय नवरात्रि का अपना अलग ही स्थान है। खासतौर पर उत्तर और पूर्वी भारत के राज्यों जैसे यूपी, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इन नौ दिनों में माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। दस दिन के नवरात्र में 22 सितंबर को प्रतिपदा की शुरूआत भोर में 1:25 बजे होगी। यह तिथि अगले दिन रात 2:57 बजे तक रहेगी। 25-26 सितंबर को दो दिन चतुर्थी तिथि का मान रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष नवरात्रि के समय देवी दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर अपने भक्तों के घर पधारेंगी। हाथी की सवारी को अत्यंत शुभ और मंगलकारी मानी जाती है। इसे समृद्धि, उन्नति और शांति का प्रतीक माना गया है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरूआत 22 सितंबर से होगी। नवरात्रि की शुरूआत कलश स्थापना के साथ होती है। इस पर्व का प्रमुख आकर्षण दुर्गा पूजा है, जो नवरात्रि की षष्ठी तिथि से आरंभ होती है। इस बार षष्ठी की तिथि 28 सितंबर को पड़ेगी। इसी दिन से दुर्गा पूजा की शुरूआत होगी, जो पांच दिनों तक चलेगी। इस दौरान महाषष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा।

तीन दशक में नौ बार तिथि की वृद्धि

पं. बिन्द्रेस दुबे के मुताबिक ऐसा पहली बार नहीं कि तिथि वृद्धि के वजह से शारदीय नवरात्र दस दिन का होगा। पंचांग बताते हैं कि करीब तीन दशक में वर्ष 1996 से इस बार तक नवरात्र में नौ बार तिथि की वृद्धि हुई है। मान्यताओं और शास्त्रों के मुताबिक नवरात्र में तिथि की वृद्धि नवरात्र में शुभ माना जाता है। ऐसे में पूजा-पाठ, विशेष अनुष्ठान, यज्ञ-हवन आदि का शुभ परिणाम प्राप्त होता है।

शारदीय नवरात्रि 2025 कैलेंडर
22 सितंबर 2025 प्रतिपदा (शैलपुत्री पूजा)
23 सितंबर 2025 द्वितीया (ब्रह्मचारिणी पूजा)
24 सितंबर 2025 तृतीया (चन्द्रघण्टा पूजा)
25-26 सितंबर 2025 चतुर्थी (कूष्माण्डा पूजा)
27 सितंबर 2025 पञ्चमी (स्कन्दमाता पूजा)
28 सितंबर 2025 महाषष्ठी (कात्यायनी पूजा)
29 सितंबर 2025 महासप्तमी (कालरात्रि पूजा)
30 सितंबर 2025 महाअष्टमी (महागौरी पूजा)
1 अक्टूबर 2025 महानवमी (सिद्धिदात्री पूजा)
2 अक्टूबर 2025 विजयादशमी

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना के साथ होता है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। 2025 में घटस्थापना सोमवार, सितम्बर 22, 2025 को की जाएगी। इसके लिए शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है।

घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06:09 बजे से 08:06 बजे तक
अवधि – 01 घंटा 56 मिनट
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11:49 बजे से 12:38 बजे तक
अवधि – 00 घंटे 49 मिनट

शारदीय नवरात्र घटस्थापना के नियम
शारदीय नवरात्र के दिन प्रथम दिन सुबह स्नान करने के बाद विधिपूर्वक कलश की स्थापना करें और देसी जलाकर मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करें। व्रत का संकल्प लें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, घटस्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और साधक पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। एक बात का खास ध्यान रखें कि घटस्थापना के लिए तांबे, चांदी या फिर मिट्टी के बर्तन का प्रयोग करना चाहिए। घटस्थापना करने के बाद गरीब लोगों या मंदिर में श्रद्धा अनुसार दान जरूर करना चाहिए।

नवरात्र की पूजा विधि
नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना का विधान है। ऐसे में सूर्योदय से पहले उठें स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में घटस्थापना के लिए सर्वप्रथम उस स्थान को अच्छे से साफ कर लें। इसके बाद चौकी रखें और उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। अब चौकी के ऊपर थोड़े से धान रखें और कलश स्थापित करें। कलश स्थापित करने से पहले उसमें शुद्ध जल भरकर थोड़ा-सा गंगाजल डालें। इसके बाद चंदन, रोली, हल्दी की गांठ, फूल, दूर्वा, अक्षत, सुपारी और एक सिक्का डालें। इसके बाद कलश पर आम या अशोक के पत्ते रखें और इसके बाद नारियल रख दें। हर दिन पूजा करने से पहले खुद पर गंगाजल छिड़क कर तिलक लगाएं और दीपक जलाएं। सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें, इसके बाद माता पार्वती और कलश की पूजा करें। इसके बाद दिन के अनुसार, माता की पूजा शुरू करें। पूजा में मां दुर्गा को फूल, रोली, दीप, दूध व प्रसाद आदि चढ़ाएं और अंत में माता रानी की आरती करें। अब सभी में प्रसाद बांटें।

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