- अन्य प्रदेशों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर कार्यकतार्ओं के लिए सेट किया एजेंडा
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति और आल-इण्डिया स्टेट पार्टी यूनिट के वरिष्ठ पदाकिारियों के साथ-साथ देशभर से चयनित पार्टी के प्रतिनिधियों की विशेष बैठक में बसपा ने मायावती को सर्वसम्मति से फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना लिया। उत्तर प्रदेश स्टेट यूनिट कार्यालय में बुधवार को बुलाई गयी बैठक का मुख्य एजेण्डा पार्टी के संविधान के मुताबिक बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव होना जैसे कई मुद्दे थे। इसके लिए इससे सम्बन्धित सभी जरूरी प्रक्रियाओं को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य सभा सतीश चन्द्र मिश्रा ने सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद मायावती को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होने की घोषणा की गई।
इसके साथ ही मायावती ने पार्टी कार्यकतार्ओं के लिए के लिए पहला एजेंडा सेट कर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश बसपा सरकार के बेहतरीन काम ऐसे उदाहरण हैं जिनके बल पर देश के अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों में पार्टी लोगों से अपना समर्थन मांग सकती हैं। हरियाणा, महाराष्टं, झारखण्ड व दिल्ली विधानसभा के लिए शीघ्र ही होने वाले आम चुनाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन राज्यों में पार्टी को पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ना है। बसपा को खासकर सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ इन चुनावों में लड़ना है और पहले बैलेन्स आफ पावर बनकर आगे बढ़ना है। बसपा मुखिया ने कहा कि वैसे भी सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथों में लिए बिना हमारे लोगों का हित व कल्याण संभव ही नहीं है, अब यह बातें शायद बताने की जरूरत नहीं रही हैं। इसके साथ-साथ उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी बसपा को अपना अच्छा रिजल्ट लाना है। इसके लिये भी उन्होंने कुछ जरुरी दिशा-निर्देंश भी दिये।
इस घोषणा का स्वागत इस बैठक में मौजदू सभी लोगों ने पूरे जोश के साथ स्वागत किया। इसके बाद मायावती ने सर्वसम्मति से एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने पर सभी लोगों का तहेदिल से आभार प्रकट किया। उन्होंने देशभर में पार्टी के सभी छोटे-बड़े कार्यकतार्ओं व अनुयाइयों को भरोसा दिलाया कि देश में खासकर दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े वर्गों में समय-समय पर जन्में अपने महान संतो, गुरुओं व महापुरुषों के मानवतावादी मिशन को बसपा की मूवमेन्ट के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए वे हर प्रकार की कुबार्नी देने को तैयार रहती हैं। मायावती ने कहा कि पार्टी व मूवमेन्ट के हित में न तो वे कभी रुकने वाली हैं और न ही झुकने वाली हैं, टूटना तो बहुत दूर की बात है। वैसे •भी अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का मूवमेन्ट आज मजबूत होकर इतना तेजी से आगे बढ़ रहा है कि इसको अब विरोधियों के कोई भी साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों से भटकाया या तोड़ा नहीं जा सकता है। खासकर ‘बहुजन समाज’ और अपरकास्ट समाज के गरीबों के बल पर ही बसपा हमेशा ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ के सिद्धान्त व लक्ष्य की प्राप्ति पर लगातार अग्रसर रहेगी।
सीमावर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य से धारा 370 का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने का उल्लेख करते हुए मायावती ने कहा कि अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता आदि के पक्षधर रहे हैं और इसी आधार पर वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी खास वजह से ही बसपा ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया है। लेकिन देश में संविधान लागू होने के लगभग 70 वर्षों के उपरान्त इस धारा 370 की समाप्ति के बाद, वहां पर हालात सामान्य होने में अब थोड़ा समय अवश्य ही लगेगा। इसलिए इसका थोड़ा इन्तजार किया जाये, तो यह बेहतर ही होगा, जिसको माननीय कोर्ट ने भी माना है। उन्होंने कहा कि ऐसे में अभी हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केन्द्र और वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा कदम नहीं है? अगर इनके जाने पर कश्मीर में थोड़े भी हालात बिगड़ जाते, तो फिर क्या केन्द्र की सरकार इसका दोष इन पार्टियों पर नहीं थोप देती, इस पर भी विचार कर लिया जाता, तो यह उचित ही होता। हालांकि वास्तव में वैसे इस समस्या की मूल जड़ कांग्रेस व पण्डित नेहरू ही हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अलग करके लद्दाख क्षेत्र को अलग केन्द्र शासित प्रदेश बनाए जाने का भी हमारी पार्टी स्वागत करती है। इससे लेह-लद्दाख क्षेत्र के बौद्ध समुदाय की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई है और वे इससे बहुत प्रसन्न हैं। अब उनकी अपनी मांग के मुताबिक केन्द्र सरकार को उनकी विशिष्ट पहचान, उनकी संस्कृति व उनके क्षेत्र के आपेक्षित विकास आदि पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
कांग्रेस पर हमला करते हुए मायावती ने कहा कि अगर धारा 370 की समाप्ति आदि का काम अगर कांग्रेस ने अपने लम्बे शासनकाल में पहले ही कर लिया होता तो आज जम्मू-कश्मीर में हालात बेहतर होते और भाजपा को इसकी आड़ में राजनीति करने का मौका नहीं मिलता। वैसे भी कांग्रेस पार्टी का ऐसा ही उदासीन व गै़र-सकारात्मक रवैया केवल जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के सम्बंध में रहने के साथ-साथ देश के सर्वसमाज में से खासकर गरीबों, दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भी रहा है।