एसटीएफ के राडार पर स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी

-गुणवत्ता के संबंध में भेजी गई गोपनीय चिट्ठी लीक करने वाले लोगों की तलाश तेज

लखनऊ। कोरोना संकट (कोविड-19) से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को बचाव के लिए दी जाने वाली पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट की घटिया सप्लाई का मामला सामने आने के बाद इसकी एसटीएफ ने जांच शुरू करते हुए विभाग के कई आला अधिकारियों को जांच के घेरे में लिया है। इनमें से कुछ अधिकारियों से पूछताछ कर उनके बयान लिये गये हैं। इसके साथ टास्क फोर्स की टीम पीपीई किट की गुणवत्ता के संबंध में भेजी गई गोपनीय चिट्ठी लीक करने वाले लोगों की भी तलाश कर रही है।

एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक डॉ. केके गुप्ता के बयान दर्ज किये जाने के बाद इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा के सचिव और वित्त नियंत्रक से भी शीघ्र ही पूछताछ की जाएगी। इसके साथ ही मेरठ मेडिकल कॉलेज सहित कई मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों के बयान दर्ज किए जाएंगे। एसटीएफ के एक अधिकारी की माने तो उप्र मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी के दबाव में कंपनी से किट खरीदी गयी थी। लेकिन अब इसमें गड़बड़ी सामने आने पर आला अधिकारी सारा ठीकरा कंपनी के माथे पर फोड़कर अपने आप को बचाने में जुट गए है। बताया जा रहा है जिस अधिकारी के दबाव में ये पीपीई किट खरीदी गयी थी, उस अधिकारी से एसटीएफ शीघ्र ही पूछताछ करेगी।

उधर, इस पूरे मामले में घटिया किट सप्लाई के दोषियों तक पहुंचने के अलावा एसटीएफ गुणवत्ता के संबंध में भेजी गई गोपनीय चिट्ठी लीक करने वाले लोगों की भी तलाश रही है। इस संबंध में रविवार को कई जगहों पर छापेमारी की गयी है। गौरतलब है कि यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन की तरफ से खरीदी गई पीपीई किट को लेकर 16 अप्रैल को बड़ा खुलासा हुआ था। मेरठ मेडिकल कॉलेज सहित कई कॉलेजों ने किट की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए उनका इस्तेमाल करने से इंकार कर दिया था।

जिसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक ने किट के उपयोग पर रोक लगा दी है। हालांकि लखनऊ के केजीएमयू, लोहिया इंस्टिट्यूट और लोकबंधु में किट पहुंची भी नहीं थी। इस बीच शुरू हुई जांच ने चिकित्सा शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा है। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक इस मामले से जुड़ी हर कड़ी को जोड़ा जा रहा है। किट की गुणवत्ता के साथ ही गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने को भी जांच के दायरे में रखा गया है।

दूसरी तरफ महानिदेशक डॉ. केके गुप्ता का कहना है कि किट में गड़बड़ी का खुलासा होते ही केजीएमयू, पीजीआई, लोहिया संस्थान, सैफई स्थित आयुर्विज्ञान संस्थान, नोएडा के जीआईएमसी, एसएससीएच संस्थान, कानपुर, आगरा, प्रयागराज, मेरठ झांसी, गोरखपुर, कन्नौज, जालौन, बांदा, बंदायू, सहारपुर, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, बस्ती, बहराइच, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर और अयोध्या मेडिकल कॉलेज को पत्र भेजकर कॉरपोरेशन की किट का इस्तेमाल न करने के लिए आदेश जारी कर दिये गये थे।

फिलहाल एसटीएफ ने चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक डॉ. केके गुप्ता के बयान दर्ज कर लिये हैं।

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