नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि नयी शिक्षा नीति (एनईपी) को अक्षरश: लागू कर जम्मू कश्मीर को ज्ञान, नवोन्मेष और अध्ययन का केंद्र बनाने की प्रतिबद्ध कोशिश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में बुद्धिमान, प्रतिभाशाली और नवोन्मेषी बच्चों की कमी नहीं है तथा नयी शिक्षा नीति से प्रखर बुद्धि के साथ विद्यार्थी सामने आएंगे।
कोविंद ने कहा, एनईएपी को अक्षरश: लागू कर जम्मू कश्मीर को ज्ञान, नवोन्मेष और अध्ययन का केंद्र बनाने की प्रतिबद्ध कोशिश की जानी चाहिए। ये कदम जम्मू-कश्मीर को एक बार फिर धरती का फिरदौस और मां भारती के ताज का जगमगाता रत्न बना देंगे जैसा कि मध्यकाल में इसका उल्लेख होता था। राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर में एनईपी के क्रियान्वयन को लेकर हुए सम्मेलन के दौरान की।
उन्होंने कहा, भारत के पास अद्वितीय जनसांख्यिकी लाभ है लेकिन इसका सकारात्मक इस्तेमाल तभी किया जा सकता है जब आबादी का पर्याप्त हिस्सा कुशल, पेशेवर तौर पर प्रतिस्पर्धी और वास्तविक मायनों में पूर्ण रूप से शिक्षित हो। राष्ट्रपति ने कल्हण की राजतरंगिणी और बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय का उदाहरण दिया जो कश्मीर में लोकप्रिय थे और कहा कि भारतीय संस्कृति इनपर विचार किए बिना अपूर्ण है।
उन्होंने कहा, हमारी परंपरा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समझना महत्वपूर्ण है तथा यह केवल हमारी मातृभाषा में ही हो सकता है। यही वह मातृभाषा है जिसे नयी शिक्षा नीति में प्रोत्साहित किया गया है क्योंकि यह हमारे देश के सांस्कृतिक लोकाचार से जुड़ी है। गौरतलब है कि एनईपी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई में मंजूरी दी थी और यह 1986 में बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्थान लेगी।