नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की स्थिति को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को सीडीएस बिपिन रावत, सेना प्रमुख एमएन नरवणे, नेवी प्रमुख करमजीत सिंह और वायुसेना प्रमुख राकेश भदौरिया के साथ बैठक की। इस दौरान एलएसी और सैन्य स्तर पर चल रही बैठक के बारे में चर्चा हुई।
उन्होंने कमांडर स्तरीय बैठक के बाद के हालात की जानकारी ली इससे पहले आठ जून को रक्षा मंत्री ने बैठक की थी। सरकारी सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस बिपिन रावत और सेना प्रमुखों ने दोनों पक्षों के कमांडरों की हाल की बैठकों के बाद नई जमीनी स्थिति पर चर्चा की।
भारतीय सेनाओं ने विवादित क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को वापस हटा लिया है, लेकिन दोनों की अभी भी इस क्षेत्र में काफी उपस्थिति है। गौरतलब है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अतिक्रमण को लेकर बने गतिरोध का समाधान निकालने के लिए भारत और चीन के बीच बातचीत का दौर लंबा चलेगा।
वार्ताओं के इस दौर को सीमा पर बटालियन और ब्रिगेड स्तर के साथ स्थानीय कमांडर स्तर पर ही अंजाम दिया जाएगा। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के स्तर पर पिछले गुरुवार को भी वातार्ओं का दौर चला, मगर विवाद का हल निकाले जाने की किसी रूपरेखा पर सहमति नहीं बन पायी है।
हालांकि, भारत ने चीन को एक बार फिर दो टूक साफ कर दिया है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों की प्रगति के लिए सीमा अतिक्रमण गतिरोध का हल निकालना अनिवार्य है। सीमा पर अतिक्रमण को लेकर उपजे तनाव के बीच सकारात्मक पहलू यह है कि गुरुवार को भारत और चीन दोनों ने कूटनीतिक स्तर पर गतिरोध के समाधान निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सही दिशा की ओर बढ़ने के कुछ संकेत दिए हैं।
लद्दाख में अतिक्रमण को लेकर भारत-चीन के बीच चल रही वातार्ओं के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि 6 जून को दोनों देशों के कोर कमांडरों की चुशूल-मोल्डो क्षेत्र में बैठक हुई थी। इस बैठक में भारत व चीन के शिखर नेतृत्व के मार्गदर्शन के अनुरूप हालात का जल्दी समाधान निकालने पर सहमति बनी।
कोर कमांडरों के स्तर पर हुई यह बैठक भारत-चीन सीमा के हालात का हल निकालने के लिए सैन्य व कूटनीतिक स्तर पर चल रहे प्रयासों का हिस्सा थी। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि भारत और चीन दोनों परस्पर सैन्य व कूटनीतिक वातार्ओं के जरिये हालात को जल्द सुलझाने के लिए संकल्पित हैं, ताकि सीमा क्षेत्र में शांति और स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके।