लंदन। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय पहली बार अपने कोविड-19 टीके का परीक्षण बच्चों पर कर रहा है। विश्वविद्यालय का कहना है कि टीके के इससे पहले हुए परीक्षण से स्पष्ट है कि यह सुरक्षित है और वयस्कों में मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। टीके का परीक्षण शुक्रवार से किया जाएगा।
इसके लिए छह से 17 साल आयु वर्ग के 300 ऐसे लोगों की आवश्यकता होगी जो स्वेच्छा से टीका लगवाना चाहते हैं। इनमें से 240 लोगों को कोविड-19 का और बाकी 60 लोगों को मेनिनजाइटिस का टीका लगाया जाएगा। गौरतलब है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के इस टीके का निर्माण दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका कर रही है और उसका महाराष्ट्र के पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से टीका बनाने को लेकर समझौता हुआ है।
ऑक्सफोर्ड टीका परीक्षण के मुख्य अनुसंधानकर्ता एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि ज्यादातर बच्चे कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं लेकिन उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना जरूरी क्योंकि टीकाकरण से कुछ बच्चों को तो लाभ होगा ही। उन्होंने कहा, इन नए परीक्षणों से बच्चों में कोविड-19 को नियंत्रित करने को लेकर हमारी समझ बढ़ेगी।
एक खबर के अनुसार, दुनिया के 50 से ज्यादा देशों के औषधि नियामकों ने एस्ट्राजेनेका द्वारा उत्पादित और आपूर्ति किए जा रहे ऑक्सफोर्ड टीके को 18 साल से ज्यादा आयु के लोगों को लगाने की मंजूरी दे दी है। अन्य दवा कंपनियां भी बच्चों पर अपने टीके का परीक्षण कर रही है। फाइजर का टीका पहले से ही 16 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगाया जा रहा है। उसने अक्टूबर, 2020 में ही 12 साल तक के बच्चों पर परीक्षण शुरू कर दिया था। वहीं मॉडर्ना ने दिसंबर, 2020 में बच्चों पर टीके का परीक्षण शुरू कर दिया।





