श्रीमद्भागवत कथा के समापन दिन
लखनऊ। बीरबल साहनी मार्ग स्थित श्री श्याम मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के समापन दिन विश्वविख्यात श्रीभगवताचार्य किरीट भाई ने सुदामा चरित्र, भगवान श्रीकृष्ण का गोलकधाम गमन और राजा परीक्षित मोक्ष का प्रसंग सुनाया।
उन्होंने कहा कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति को भक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है वह जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त होकर परम लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है उन्होंने बताया कि जब राजा परीक्षित को ऋषि के श्राप के कारण तक्षक नाग से डसे जाने का वरदान मिला, तो उन्होंने अपना राजपाट पुत्र को सौंप दिया गंगा तट पर जाकर शुकदेव जी की शरण ली. सात दिनों तक शुकदेव जी के मुख से भागवत कथा के श्रवण से उनका भय और आसक्ति मिट गयी अंतत: तक्षक नाग के विष से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई
मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण सुदामा से समझा जा सकता हैं। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचा। द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वार पालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं।
इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना, प्रभु सुदामा-सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। वहीं सामने सुदामा सखा को देखकर अपने सीने से लगा लिया सुदामा ने भी कन्हैया-कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए और उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की।
इस अवसर पर मुख्य यजमान अतुल अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल, महामंत्री रूपेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष आशीष अग्रवाल, अनुराग साहू, पंकज मिश्रा सहित बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहें।





