एसएनए में नाटक का मंचन
लखनऊ। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश एवं कैनरा बैंक के सहयोग से चित्रा मोहन लिखित एवं ज्ञानेश्वर मिश्र ज्ञानी निर्देशित नाट्य कृति कलयुगी सुदामा का सफल मंचन संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में किया गया। यह नाटक कृष्ण और सुदामा की दो पौराणिक कथाओं पर आधारित था । पहली कथा जब सुदामा श्री कृष्ण से मिलने जाते हैं और श्री कृष्ण उनके द्वारा लाये गए चावल की दो मुट्ठी खाकर उन्हें राज दे देते हैं,पर सुदामा को पता नहीं चलता । श्रीकृष्ण सुदामा की खातिर करके कुछ समय बाद उन्हें खली हाथ विदा कर देते हैं । सुदामा सोचते हैं कि श्री कृष्ण ने हमें कुछ नहीं दिया । पर आपने घर पहुंचने पर उनको अपनी कुटिया के स्थान पर महल दिखता है । तब उनकी पत्नी उन्हें बतलाती है तुम्हारे जाने के बाद ये सब श्री कृष्ण ने ही आकर हमें दिया है । दूसरी कथा में सुदामा श्रीकृष्ण से माया दिखलाने के लिए कहते हैं। तब श्रीकृष्ण उन्हें नदी में लेजाकर स्नान करवाते हैं और जैसे ही सुदामा नदी में डुबकी लगाकर बहार आते हैं। श्रीकृष्ण के स्थान पर कुछ लोग उन्हें परंपरा के अनुसार राजा बना देते हैं। उनकी शादी हो जाती है और उनके दो बाचे होते है । दुसरे बच्चे के प्रसव के समय उनकी रानी का स्वर्गवास हो जाता है । वहां के लोग सुदामा से कहते हैं कि हमारी परंपरा है कि रानी कि चिटा के साथ हमलोग राजा को भी जला देते हैं । इसपर सुदामा नदी में नहाना चाहता है, लोग उसे नहाने देते हैं, जैसे ही वो नदी में डुबकी लगाकर बहार आता है,श्रीकृष्ण दिखलाई देते है।
इस प्रस्तुति में आरती कृष्ण मुरारी की,गिरिधर कृष्ण मुरारी की…, चले श्याम सुन्दर से मिलने सुदामा…, भांग की तरंग प्यारी सब दु:ख हर लेती है..धीरे-धीरे चलो न राधा प्यारी…काहे कान्हां करत बड़जोरी… गीतों का अच्छा प्रयोग किया गया है। नाटक का समापन श्री राधे गोपाल नाचें रास मंडल में रास नृत्य के साथ होता है। नाट्य प्रस्तुति में मंच पर संदीप देव, बसंत मिश्रा, गुरुदत्त पांडेय, विशाल श्रीवास्तव, गुलशन यादव, अंशिका सक्सेना, प्रीति सिंह परिहार, कामिनी श्रीवास्तव और पूर्णिमा सक्सेना ने पात्रानुरूप अभिनय किया।