लखनऊ से विशेष रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरी व्यवस्था की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। राजधानी लखनऊ के संजय गांधी पुरम, विधानसभा क्षेत्र 173—लखनऊ ईस्ट के मान्यता प्राप्त पत्रकार शेखर पंडित का नाम बिना किसी सूचना के मुख्य मतदाता सूची से हटा दिया गया।
पर्चियां आईं, BLO आया—पर पत्रकार का नाम गायब

सूत्रों के अनुसार, SIR के दौरान BLO ने घर-घर जाकर पर्चियां बांटीं। शेखर पंडित के घर भी पर्चियां पहुंची, लेकिन जब परिवार ने सूची की जांच की तो पाया कि—
- पिता का नाम सूची में मौजूद
- पत्नी का नाम सूची में मौजूद
- लेकिन शेखर पंडित का नाम मुख्य मतदाता सूची से डिलीट
आश्चर्य की बात यह है कि न तो कोई नोटिस मिला, न सत्यापन की जानकारी और न ही किसी प्रकार की आपत्ति की सूचना।
राजधानी में यह हाल, तो गांव-कस्बों का क्या?
घटना ने इस प्रश्न को जन्म दिया है कि यदि राजधानी लखनऊ में भी एक जागरूक, पढ़े-लिखे और मान्यता प्राप्त पत्रकार की जानकारी के बिना उनका नाम सूची से हट सकता है, तो प्रदेश के दूरदराज़ क्षेत्रों में रहने वाले कम पढ़े-लिखे या अशिक्षित मतदाताओं की स्थिति क्या होगी?
SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को मजबूत करना, नए मतदाताओं को जोड़ना और त्रुटियाँ दूर करना है, लेकिन यह मामला उलटा चित्र दिखाता है—जहाँ वैध मतदाता ही सूची से बाहर हो रहे हैं।
आयोग के दावे और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने SIR को पारदर्शी, तेज और सटीक बताया था। लेकिन लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में पर्चियां न पहुंचना और वैध नाम हट जाना चुनाव आयोग की तैयारी और निगरानी पर सवाल खड़ा करता है।
मताधिकार से खिलवाड़ का गंभीर मामला
मतदाता सूची से किसी का नाम हट जाना केवल प्रशासनिक त्रुटि नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों पर आघात है।
एक पत्रकार का नाम हटाया जाना न सिर्फ चूक है, बल्कि यह दर्शाता है कि मतदाता सूची संशोधन का कार्य मॉनिटरिंग की कमी और लापरवाही का शिकार है।
यदि समय रहते ऐसे मामलों की जांच नहीं हुई, तो आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में हजारों लोग अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
आयोग को तुरंत जांच कर जिम्मेदारी तय करनी चाहिए
इस घटना के बाद यह स्पष्ट है कि—
- SIR प्रक्रिया में खामियाँ हैं
- फील्ड लेवल निगरानी कमजोर है
- कई वैध मतदाताओं का नाम गलत तरीके से हटाया जा रहा है
चुनाव आयोग को चाहिए कि वह ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी वैध मतदाता के अधिकार से खिलवाड़ न हो।





