यह व्रत पितरों के लिए रखने से उनको पुण्य फलों की प्राप्ति होती है
लखनऊ। हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को एकादशी व्रत रखा जाता है। यह दिन जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णुजी की पूजा-आराधना के लिए विशेष माना जाता है। हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी व्रत रखा जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल 08 फरवरी को जया एकादशी व्रत रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी व्रत रखने से जातकों को आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है और जीवन के सभी पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह भी कहा जाता है कि जया एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णुजी की कृपा से मृत्यु के बाद भूत-पिशाच योनि में नहीं जाना पड़ता है। यह व्रत पितरों के लिए रखने से उनको पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 07 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट पर होगी और अगले दिन 08 फरवरी को रात 08 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 08 फरवरी 2025 को जया एकादशी मनाई जाएगी। जया एकादशी के दिन वैधृति योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान धर्म-कर्म के कार्य शुभ माने जाते हैं।
जया एकादशी 2025 मुहूर्त
8 फरवरी को जया एकादशी की पूजा आप सुबह में 07:05 बजे से कर सकते हैं। उस दिन शुभ-उत्तम मुहूर्त 08:28 ए एम से 09:50 ए एम तक है। जया एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 05:21 ए एम से 06:13 ए एम तक है। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 पी एम से दोपहर 12:57 पी एम तक है।
व्रत वाले दिन मृगशिरा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर शाम 06:07 पी एम तक है। उसके बाद आर्द्रा नक्षत्र है। वैधृति योग दोपहर में 02:04 पी एम तक है, उसके बाद विष्कम्भ योग होगा।
रवि योग में जया एकादशी व्रत 2025
इस बार जया एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है। उस दिन रवि योग सुबह में 07 बजकर 05 मिनट से शाम 06 बजकर 07 मिनट तक है। रवि योग में सूर्य प्रभाव से सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं।
जया एकादशी के दिन स्वर्ग की भद्रा
जया एकादशी वाले दिन स्वर्ग की भद्रा लग रही है। भद्रा का समय सुबह में 8 बजकर 48 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक है। इस भद्रा का वास स्थान स्वर्ग है। इसका कोई दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होगा। ऐसे में शुभ कार्यों पर कोई पाबंदी नहीं होगी।
जया एकादशी व्रत का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि माघ शुक्ल एकादशी को जया एकादशी के नाम से जानते हैं। इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्यक्ति ब्रह्म हत्या समेत सभी पापों से मुक्त हो जाता है, जो विधि विधान से जया एकादशी व्रत करेगा, उसे मृत्यु के बाद भूत, पिशाच आदि योनि में नहीं जाना पड़ेगा।
जया एकादशी की पूजाविधि :
जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद विष्णुजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। एक छोटी चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं। इस पर लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा स्थापित करें। विष्णुजी और मां लक्ष्मी को फल, पीले फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। इस दिन विष्णुजी को तुलसी दल और तिल का भोग लगाएं। इसके बाद विष्णुजी के बीज मंत्र ‘ऊँ नमो नारायणाय नम:’ का जाप करें। विष्णुजी चालीसा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अंत में मां लक्ष्मी और विष्णुजी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें। शाम के समय भी विष्णुजी की पूजा करें और भजन-कीर्तन करें। दिनभर फलाहार व्रत रखें और अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें। पारण करने से पहले ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।