भारत अंतरिक्ष में अपना पहला स्पेस स्टेशन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका और चीन के बाद अपना स्पेस स्टेशन लॉन्च करने वाला तीसरा देश भारत बनेगा। भारत 2030 तक अपना स्पेस स्टेशन लॉन्च करेगा। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद से ही इसरो (करफड)ने अपने नए मिशन पर काम करना शुरू कर दिया है। इसरो जल्द ही अंतरिक्ष में नया कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है। इसरो खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा देश होगा जो स्पेस स्टेशन बनाएगा। भारत का स्पेस स्टेशन अमेरिका और चीन के स्पेस स्टेशन के मुकाबले बहुत खास होगा।
समझे स्पेस स्टेशन
स्पेस स्टेशन एक उपकरण होता है जिसको अंतरिक्ष में स्थापित किया जाता है। स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष से पृथ्वी की निगरानी लगातार करता है। अंतरिक्ष में जाने वाले यात्री स्पेस स्टेशन पर रहकर तरह-तरह के रिसर्च करते हैं। स्पेस स्टेशन धरती के ऑर्बिट में चक्कर लगता रहता है। एक एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में आमतौर पर 6 माह के लिए रहते हैं। स्पेस स्टेशन पर एक समय में 6 से 7 एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं। उनके वापस आने के बाद एस्ट्रोनॉट्स के दूसरे दल को भेजा जाता है। बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस सेंटर को 15 देशों ने साथ मिलकर बनाया था।
इसरो ने बताया है कि भारत का स्पेस स्टेशन 20 टन का होगा। वहीं इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का वजन 450 टन से अधिक है। वहीं चीनी स्पेस स्टेशन का वजन 80 टन है। इसरो ने बताया कि भारतीय स्पेस सेंटर में एक साथ 4 से 5 एस्ट्रोनॉट्स रह सकेंगे। भारतीय स्पेस स्टेशन को पृथ्वी के सबसे निचली ऑर्बिट में रखा जाएगा। इस ऑर्बिट को छएड कहते हैं जो तकरीबन 400 किमी दूर स्थित है।
जी-20 समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका अंतरिक्ष में भी साझेदारी करेंगे और स्पेस मिशन में एक दूसरे का परस्पर मदद करते रहेंगे। इसरो ने बताया कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को प्रशिक्षण देगा। इसके लिए नासा और इसरो के बीच में समझौता भी हो चुका है। गगनयान मिशन में अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स को भी ह्यूस्टन में स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर में ट्रेनिंग दी जाएगी।